45 हजार क्यूसेस पानी छोड़ने के बाद बाढ़ की तबाही, घरों में घुसा पानी

पुणे : समाचार ऑनलाईन –  सिंचाई विभाग ने मुठा नदी के पाट से संबंधित पहले दर्शाई गई फ्लड-लाइन्स को डिजिटल मैपिंग करते समय बदल दिया है। विशेष बात यह है कि किसी खास मकसद को ध्यान में रखकर इन्हें पहले के बजाय 65 से 80 मीटर अंदर लिया गया है। इस वजह से 60 हजार क्यूसेक पानी बहाकर ले जाने की क्षमता वाली मुठा नदी में इस साल की बारिश में 45 हजार क्यूसेस पानी छोड़ने के बाद उससे सटे आबादीवाले क्षेत्रों में पानी घुस गया। इन बदलावों के बारे में सिंचाई विभाग व मनपा आयुक्त से कई बार जानकारी मांगे जाने के बावजूद कुछ नहीं बताया जा रहा है और इन बदलावों के संबंध में स्पष्टीकरण भी न दिये जाने से पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत लोगों ने यह आशंका जताई है कि आने वाले दिनों में डैम क्षेत्र में अतिवृष्टि होने पर नदीतट का बड़ा परिसर जलमग्न हो सकता है। सारंग यादवाड़कर, विवेक वेलणकर व एड्। असीम सरोदे ने पत्रकार-वार्ता में यह जानकारी दी।

 मनपा ने इसकी सही ढंग से पड़ताल नहीं की
यादवाड़कर ने बताया कि पुराने शहर का विकास प्रारूप बनाते समय वर्ष 2011 में सिंचाई विभाग ने फ्लड लाइन, रेड लाइन व ब्ल्यू लाइन के मैप्स दिये थे, लेकिन इन मैप्स का समावेश डीपी में नहीं किया गया। वर्ष 2017 में राज्य शासन ने विकास प्रारूप मंजूर किया और उसमें भी बाढ़-रेखाओं का उल्लेख नहीं किया गया, लेकिन सिंचाई विभाग ने फ्लड लाइन का डिजिटल मैप मनपा को दिया। मनपा ने भी कंस्ट्रक्शन परमिशन देते समय इन मैप्स का आधार लेना शुरू किया। सिंचाई विभाग द्वारा पहले दिये गये मैप व डिजिटल मैप में दर्शाई गई बाढ़ रेखाओं में कई स्थानों पर अंतर नजर आ रहा है। इसमें डेक्कन, जे ब्रिज, विट्ठलवाड़ी, नारायण पेठ व संगमवाड़ी क्षेत्र में ब्ल्यू लाइन व रेड लाइन 65 से 80 मीटर अंदर लिये जाने की बात सामने आ रही है। खास बात यह है कि बाढ़-रेखा के मैप्स फाइनल करने का अधिकार सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता को रहने के बावजूद इस पर कार्यकारी अभियंता के हस्ताक्षर हैं। हमारा आरोप है कि मनपा ने इसकी सही ढंग से पड़ताल नहीं की।

मुला, मुठा नदी के पाट में अतिक्रमण
आरटीआई के जरिए सिंचाई विभाग से इससे संबंधित जानकारी मांगी गई, लेकिन विभाग इसे नहीं दे रहा है। इसके खिलाफ अपील भी की गई, लेकिन अधिकारी सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं रहते। इस संबंध में मनपा आयुक्त को भी 3 बार पत्र दिये गये, लेकिन वे भी आरटीआई के अमल पर कुछ भी नहीं बोल रहे हैं। मुला, मुठा नदी के पाट में अतिक्रमण होने की बात मानकर एनजीटी ने इस संबंध में जांच कर रिपोर्ट देने का मनपा को आदेश दिया, लेकिन 3 सप्ताह के बाद भी अब तक समिति की स्थापना को लेकर किसी भी प्रकार की हलचल नजर नहीं आ रही है। सिंचाई विभाग व मनपा द्वारा मिलीभगत कर किसी न किसी के फायदे के लिए बाढ़ रेखाएं अंदर ली गई हैं। खड़कवासला, पानशेत, वरसगांव व टेमघर डैम का पानी बहाकर ले वाने वाली एकमात्र मुठा नदी है। मुठा का पाट संकरा होते रहने से कभी भी अतिवृष्टि होने पर इसके आसपास के क्षेत्र पानी में डूब सकते हैं।

सांगली व कोल्हापुर में हाल ही में हुई अतिवृष्टि की वजह से यह वास्तविकता सामने आई है। आने वाले दिनों में यही दृश्य पुणे में भी देखने को मिलने की आशंका है। इस पर उपाय यही है कि पहले की फ्लड लाइन्स को कायम रखकर नदी के पास बने अतिक्रमण हटा दिए जाएं। यादवाड़कर, सरोदे व वेलणकर ने चेतावनी दी कि इस संबंध में मनपा प्रशासन द्वारा तुरंत कदम न उठाये जाने पर हम अदालत का दरवाजा खटखटायेंगे।