देश में पहला… भिंड में बनेगा डकैतों का संग्रहालय, फूलन देवी और मोहर सिंह की कहानी जानेंगे लोग 

 भिंड. ऑनलाइन टीम : ‘सोन चिड़िया’ से लेकर ‘पान सिंह तोमर’ और चंबल की क़सम’ जैसी फ़िल्मों के ज़रिए आपने ‘चंबल घाटी’ के डकैतों की कहानियां तो ज़रूर देखीं-सुनी होंगी, लेकिन मध्य प्रदेश पुलिस अब चंबल में बागी दस्युओं के खात्मे और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटाने की कहानी को पुलिस संग्रहालय के माध्यम से बताने तैयारी कर रही है। चंबल में 1980 से लेकर 90 तक कई दस्युओं ने आत्मसमर्पण किया था। इनमें फूलन देवी, घंसा बाबा, मोहर सिंह, माधो सिंह प्रमुख डकैत थे। समर्पण के बाद इन दस्युओं ने सजा भी काटी और रिहा होने के बाद समाज की मुख्यधारा में लौटे। पुलिस का उद्देश्य अपराधों की दुनिया में कदम रखने वालों को सबक सिखाने और संदेश देने की है। संभवत: देश में यह अपने तरह का पहला प्रयास है।

चंबल में इन डकैतों का आतंक खत्म होने के बाद भिंड पुलिस डकैतों यह संग्रहालय बनाने जा रही है। कुख्यात दस्यु रहे मोहर सिंह के कर्म क्षेत्र मेहगांव में ब्रिटिश काल का पुराने थाने की बिल्डिंग का भी चयन कर लिया गया है।यह थाना ब्रिटिश काल के दौर में बनाया गया था। इस थाना भवन को हेरिटेज लुक में सजाया-संवारा जाएगा। इस संग्रहालय में वर्ष 1960 से लेकर 2011 तक चंबल इलाके में सक्रिय रहे दस्युओं की पूरी हिस्ट्रीशीट, फोटो, गिरोह के सदस्यों की पूरी जानकारी और उनके अंत तक की पूरी कहानी बताई जाएगी। उनके हथियारों को भी प्रदर्शित किया जाएगा। साथ ही उन बलिदानी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों में किस्से भी बताए जाएंगे, जिन्होंने खुद को आगे कर इनकी गोलियों का सामना किया। संग्रहालय निर्माण के लिए राशि जनभागीदारी और पुलिस फंड से जुटाई जाएगी।

मूलतः यमुना की मुख्य सहायक नदियों के तौर पर पहचानी जाने वाली चम्बल की शुरुआत विंध्याचल की पहाड़ियों में मऊ शहर के पास से होती है। फिर वहां से मध्यप्रदेश, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश की सीमाओं से होती हुई यह वापस मध्य प्रदेश आती है और अंत में उत्तर प्रदेश के जालौन में यमुना में मिल जाती है। लेकिन क़रीब 960 किलोमीटर लम्बी अपनी इस यात्रा में चंबल अपने आस-पास रेतीले कंटीले बीहड़ों का लंबा साम्राज्य खड़ा करते हुए जाती है। हर साल क़रीब 800 हेक्टेयर की दर से बढ़ रहे बीहड़ आज चम्बल घाटी की सबसे बड़ी समस्या है।  चंबल घाटी से डकैत पूरी तरह ख़त्म हो चुके हैं।  दूर से ‘डाकू-मुक्त चम्बल’ की यह तस्वीर अच्छी भी लगती है। लेकिन लगातार फैलते बीहड़ों और घटते ज़मीनी रकबे की वजह से डकैत बनने और बनाने की परिस्थितियां यहां आज भी मौजूद हैं। इस कारण ही पुलिस यह अनोखा प्रयास कर रही है।