किसान आंदोलन…पवार बोले- इम्तिहान न ले मोदी सरकार, देश के और भागों का रखे ख्याल 

मुम्बई. ऑनलाइन टीम : राजनीति के जानकार मानते हैं कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार आज जो भी बोलते हैं, उसका मतलब कुछ दिन बाद में समझ में आता है। और समझ में ही नहीं आता, परिणाम भी दिखता है। अब किसान आंदोलन में उन्होंने एंट्री मारी है। एक तरफ उन्होंने केंद्र सरकार को सीधी चुनौती दी, तो दूसरे तरफ संकेत भी। सरकार से कृषकों की सहिष्णुता का इम्तिहान नहीं लेने का आह्वान करते हुए उन्होंने  कहा कि यदि सरकार ने किसानों की मांगों पर समय से निर्णय नहीं लिया तो दिल्ली की सीमाओं पर चला रहा प्रदर्शन अन्यत्र भी फैल सकता है। अब इसके अलग-अलग आशय लगाए जाने लगे हैं कि क्या किसान आंदोलन और मुखर होने वाला है।

पवार ने कहा, ‘आज किसानों ने कानूनों को वापस लेने की कड़ी मांग की है और कहा है कि इस मुद्दे पर बाद में चर्चा की जा सकती है। लेकिन इस पर केंद्र का रूख अनुकूल नहीं जान पड़ता है। इसलिए ऐसे संकेत हैं कि गतिरोध कुछ और दिन चल सकता है।’  उन्होंने कहा, ‘यह प्रदर्शन दिल्ली के बार्डर तक सीमित है। लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि यदि समय पर निर्णय नहीं लिया गया तो यह अन्यत्र भी फैल सकता है।’

उन्होंने केंद्रीय मंत्री रावसाहब दानवे द्वारा किसान आंदोलन के पीछे चीन और पाकिस्तान के हाथ होने के बयान पर कहा, ‘कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें यह समझ नहीं होती है कि कहां और कैसे क्या बोलना है। उन्होंने पहले भी ऐसे बयान दिए थे, जबकि हकीकत तो यह है कि विपक्षी दलों द्वारा विस्तृत चर्चा की मांग किए जाने के बावजूद संबंधित कृषि विधेयक संसद में ‘हड़बड़ी’ में पारित किए गए थे।

बता दें कि विभिन्न राज्यों के किसान इन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर करीब दो सप्ताह से दिल्ली के सिंघू, टिकरी, गाजीपुर और चिल्ला बार्डरों पर डेरा डाले हुए हैं। किसानों का कहना है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का सुरक्षा जाल खत्म कर देंगे और उनकी आमदनी पक्की करने वाली मंडियां भी हट जाएंगी। लेकिन सरकार के अनुसार एमएसपी व्यवस्था जारी रहेगी तथा नए कानून किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए और विकल्प उपलब्ध कराएंगे। देखना है अब शरद पवार की ऐट्री के बाद किसान आंदोलन और कितना जोर पकड़ता है।