एक्सपर्ट्स की दो टूक-हफ्ते भर बाद ही सुधरेगा मौत का आंकड़ा

ऑनलाइन टीम. नई दिल्ली : पिछले 24 घंटों में देशभर से कोविड-19 के 2,63,533 नए मामले सामने आए हैं। यह लगातार दूसरा दिन है जब नए केसेज का आंकड़ा 3 लाख से नीचे रहा।  मगर चिंता की बात यह है कोविड-19 से मरने वालों की संख्या नहीं घट रही। चारों तरफ मौत का खौफ है। लोग इलाज के बिना सड़कों पर ही मर रहे हैं। अस्पतालों में बेड नहीं हैं, ऑक्सीजन की किल्लत है। बदहवास लोग वॉट्सऐप और फेसबुक के साथ बाबाओं तक के नुस्खे आजमा रहे हैं।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगले दो से तीन हफ्ते में मौतों का आंकड़ा सुधर सकता है। एक्सपर्ट का मानना है कि संक्रमण के करीब दो-तीन हफ्ते बाद मौत होती है। चूंकि नए केसेज घटे हैं, ऐसे में मौतों की संख्या पर उनका असर दो-तीन हफ्ते में दिखेगा। दिल्ली मेडिकल काउंसिल के प्रेजिडेंट डॉक्टर अरुण गुप्ता के अनुसार, संक्रमण और मौत में लगभग 15 दिन का अंतर होता है। जब कोई संक्रमित होता है या उनमें संक्रमण की पुष्टि होती है तो पहले ही दिन लोग बीमार नहीं होते हैं।

इन परिस्थितियों में कोविड-19 से निपटने का सबसे अचूक सहारा वैक्सीनेशन है, जिसकी किल्लत है।  हर केंद्र पर लंबी-लंबी लाइन  देखी जा सकती है, जबकि सरकार का लक्ष्य जुलाई तक 30 करोड़ आबादी को टीका लगाने का लक्ष्य है। टीकों की कमी का ही असर है कि जहां 12 अप्रैल को दोनों डोज मिलाकर 37 लाख लोगों को वैक्सीन लगी थी, वह 8 मई को गिरकर 20 लाख डोज पर आ गई।

इस बीच, सरकार की नई वैक्सीन नीति पर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं। 21 अप्रैल को घोषित इस नीति पर राज्य सरकारों ने भी सवाल उठाए हैं। केंद्र ने एक तरफ तो 18 से 44 साल तक के लोगों को वैक्सीन लगाने की अनुमति दे दी, दूसरी तरफ आपूर्ति का तरीका बदलते हुए कंपनियों को वैक्सीन की मनमानी कीमत वसूलने की छूट दे दी। नई नीति के अनुसार वैक्सीन निर्माता कंपनियां अपने उत्पादन का 50 फीसदी डोज केंद्र सरकार को देंगी। बाकी  50 फीसदी डोज वे राज्यों और निजी अस्पतालों को सीधे बेच सकेंगी। इससे राज्यों में प्रतिस्पर्धा हो गई है।