सैंकड़ों की भीड़ में भी राष्ट्रपति पहचान गए अपने 12 साल पुराने ‘इस’ दोस्त को, प्रोटोकॉल की परवाह किए बिना बुलाया अपने पास

समाचार ऑनलाइन– दोस्ती एक ऐसा शब्द है, जिसे परिभाषित करने बैठे तो शब्द कम पढ़ जाएंगे. फिर भी कम शब्दों में कहें तो दोस्ती एक बेशकीमती पुस्तक है, जिसमें अंकित हर अक्षर, हीरे, मोती, नीलम, पन्ना, माणिक और पुखराज की तरह  बहुमूल्य और तकदीर बदलने वाले हैं. यह निस्वार्थ होती है, जिसमें कोई बढ़ा-छोटा और नाहीं कोई ऊँच-नीच होती है. इसका एक ताजा उदाहरण हाल ही में देखने को मिला है, जब देश के राष्ट्रपति राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारी भीड़ के बीच भी अपने 12 साल पुराने मित्र को पहचान लिया और तुरंत केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान  से कहकर उन्हें अपने पास बुलाया और मंच पर अपने साथ बैठा लिया. यहां तक की इस समय उन्होंने प्रोटोकॉल की परवाह तक नहीं की.

राष्ट्रपति के अपने दोस्त के प्रति इस लगाव की अब हर जगह चर्चा हो रही है. साथ ही उनका मित्र भी कोविंद के इस व्यवहार से फुले नहीं समा रहे हैं.

अब आप जानना चाह रहे होंगे कि आखिर कोविंद के यह स्पेशल दोस्त कौन हैं? तो बता दें कि यह कोई और नहीं बल्कि ओडिशा के राज्यपाल रह चुके पूर्व राज्यसभा सदस्य बीरभद्र सिंह थे.

यह वाकया ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में उत्कल विश्वविद्यालय के प्लैटिनम जयंती समारोह के दौरान हुआ, जब यहां कोविंद भाषण दे रहे थे. तभी उनकी नजर बीरभद्र सिंह पर पड़ गई थी. कार्यक्रम के अंत में दोनों ने खुलकर मुलाकात की और बेहद खुद नजर नहीं आए. यहीं नहीं दोनों ने साथ में फोटो भी खिंचवाएं.

जब बीरभद्र सिंह से इस पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा कि इतनी भारी भीड़ के बीच भी राष्ट्रपति के इशारे से मैं चकित हो गया था. उन्होंने बताया कि हम दोनों की आखिरी मुलाकात 12 वर्ष पहले हुई थी. हम दोनों 2000 और 2006 के बीच राज्यसभा के सदस्य थे. इस दौरान हम दोनों एसटी/एससी समिति के सदस्य थे और लगभग दो साल तक एक साथ काम किया था.

बीरभद्र सिंह ने यह भी बताया कि वे राष्ट्रपति को कार्यक्रम में गुलाब भेंट करने चाहते थे, लेकिन सुरक्षा प्रोटोकॉल के चलते इसकी अनुमति नहीं दी गई. लेकिन अब उनसे मिलकर मैं बेहद खुश हूं. राष्ट्रपति ने मुझे राष्ट्रपति भवन आने के लिए आमंत्रित भी किया है.

visit : punesamachar.com