राम मंदिर के लिए मुस्लिम कारीगरों ने बनाया  6 फुट ऊंचा व 2100 किलो का ‘घंटा’

एटा: समाचार ऑनलाइन- राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आ चुका है, जिसे हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों ने ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार किया है. इतना ही नहीं भाईचारे का उदाहरण पेश करते हुए, सांप्रदायिक सौहार्द्र को बनाएं रखा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस संवेदनशील फैसले के आने से पहले कोई अनहोनी न हो, इस बात को लेकर शासन-प्रशासन चिंतित था, लेकिन हिंदू-मुस्लिम भाइयों ने कोर्ट के आदेश का स्वागत किया और देश में शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखा.

अब इस ऐतिहासिक फैसले के बाद मंदिर वहीं बनने जा रहा है, जहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्म हुआ था. साथ ही अब मंदीर निर्माण को लेकर तैयारियां भी जोरों पर चल रही है, जिसमें हिन्दुओं के साथ-साथ मुस्लिम बंधु भी अपने हाथ आगे बढ़ा रहे हैं. ऐसा ही एक उदाहरण जनपद अटके पीतल नगरी के रूप में जानी जाने वाली तहसील जलेसर से सामने आया है. यहां पर लगभग 2100 किलो वजनी पीतल की घंटी मुस्लिम समुदाय के इक़बाल की मदद से बनाई जा रही है. इकबाल के हाथों में ही इस घंटे की डिजाइनिंग वह घिसाई की अहम जिम्मेदारी है.

फुट ऊंचा और फुट चौड़ा है ये घंटा

बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से पहले ही इस घंटे को बनवाने का ऑर्डर दे दिया गया था. इस 2100 किलो घंटे की कीमत लगभग 12 लाख रुपए बताई जा रही है. विशाल आकार में तैयार हुए इस घंटे की ऊंचाई 6 फुट और चौड़ाई 5 फुट है.

बहुप्रतीक्षित राम मंदिर के लिए इस घंटे के निर्माण-कार्य में लगे कारखाने के मालिक और जलेसर के  नगरपालिका चेयरमैन विकास मित्तल ने बताया कि,  इस घंटे को तैयार करने का कार्य अधिकतर काम मुस्लिम समाज के भाइयों द्वारा किया जा रहा है.

जब कारीगर इकबाल से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि राम मंदिर के लिए घंटा उन्होंने ही बनाया है. बता दें वे पिछले 40 साल से यह काम करते आ रहे हैं.

घंटे पर अंकित होगा जलेसर का नाम

बताया गया है कि  राम मंदिर की भव्यता में चार चाँद लगाने वाले इस विशाल घंटे पर एटा सहित जलेसर का नाम भी अंकित किया जा रहा है, जिसे लेकर कारीगर बड़े खुश हैं. उनका कहना है कि मन्दिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को यह देख कर, पता चल सकेगा कि, यह घंटा जलेसर में बनाया गया है.