उद्यमियों ने बिजली की प्रस्तावित दरवृद्धि वापस लेने की मांग

पिंपरी : समाचार ऑनलाइन – औद्योगिक मंदी के काल में महाराष्ट्र में उद्योगों को टिकाए रखने के लिए महावितरण द्वारा सितंबर 2018 से लागू की गई और फिलहाल प्रस्तावित की गई बिजली की दरवृद्धि को वापस लेने की दरकार उद्यमियों ने लगाई है। इस बारे में पिंपरी-चिंचवड लघुउद्योग संगठन के अध्यक्ष संदीप बेलसरे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, ऊर्जा मंत्री नितीन राऊत, उद्योगमंत्री सुभाष देसाई को ज्ञापन सौंपा है।
बेलसरे ने बताया कि, महाराष्ट्र में औद्योगिक ऊर्जा के दर दूसरे राज्यों की तुलना में 20 से 40 फीसदी ज्यादा हैं। देश में वाणिज्यिक और कृषि प्रवर्ग के बिजली की दरें भी सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। सितंबर 2018 में एमईआरसी ने 20 हजार 651 करोड़ रुपये यानी औसतन 15 फीसदी दरवृद्धि मंजूर किया है। मार्च 2020 तक 8268 करोड़ रुपए शुल्क वृद्धि के जरिए वसूल किये जा रहे हैं। अतिरिक्त भार नियामक मिल्कियत का है जिसकी राशि 12 हजार 382 करोड़ होगी। स्पर्धात्मक स्तर पर बिजली दर कायम रखने के लिए सरकार की ओर से उद्योगों को पांच हजार करोड़ रुपए अनुदान दिए जाय। इससे प्रति यूनिट के दर में दो रुपये का भार कम होगा।
राज्य के उद्योग टिकाये रखने के लिए उक्त अनुदान मंजूर करने की मांग करते हुए बेलसरे ने कहा कि, ज्यादा उत्पादन खर्च की वजह से महावितरण महाजेनको और रतन इंडिया को प्रति युनिट एक रुपये ज्यादा दर से बिजली खरीदनी पड़ रही है। जिससे महावितरण का वास्तविक वितरण नुकसान 30 फीसदी या उससे ज्यादा है। ग्राहकों के दर में अतिरिक्त वितरण नुकसान का भार 30 फीसदी है। राज्य में औसतन दो घन्टे की बिजलीं विफल साबित होती है। व्यत्ययों के चलते ट्रान्सफॉर्मर्स में बिगाड, ब्रेकडाउन, ओवरहेड वायर्स ब्रेकडाउन, पोल डूबना, वोल्टेज समस्या आदि के चलते महावितरण को सालाना बड़ा नुकसान हो रहा है। ग्राहकों का नुकसान भी चार गुना या उससे ज्यादा है। इस नुकसान को टालने के लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं में सुधार लाने की जरूरत भी उन्होंने बताई है।