जनता द्वारा दी गई सख्ती की रिटायरमेंट का मजा लें आढलराव

पुणे समाचार ऑनलाईन –  लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद गत दिन पिंपरी चिंचवड़ शहर के भोसरी में अपनी हार पर पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना के भूतपूर्व सांसद शिवाजीराव आढलराव पाटिल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस के।सांसद डॉ अमोल कोल्हे पर निशाना साधा। इस पर डॉ कोल्हे ने अपनी शिवस्वराज्य यात्रा के तीसरे चरण में गढ़चिरौली से पलटवार करते हुए टिप्पणी की कि, आढलराव को जनता द्वारा दी गई सख्ती की रिटायरमेंट का आनंद उठाना चाहिए।

उन्होंने अपने जवाब में कहा कि, शिवसेना के पूर्व सांसद हार की निराशा में ऐसे बयान दे रहे हैं। शिवस्वराज्य यात्रा के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस भी समाप्त हो जाएगी, इस टिप्पणी पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि, महाराष्ट्र में तीन यात्रायें शुरू हैं, महाजनादेश, जनआशीर्वाद और शिवस्वराज्य यात्रा। इनमें से जनआशीर्वाद यात्रा बंद है और वह किसकी थी यह भी लोग नहीं जानते। मुख्यमंत्री की महाजनादेश यात्रा को तो जगह- जगह काले झंडे दिखाए जा रहे हैं। इसके विपरीत शिवनेरी किले की मिट्टी माथे ओर लगाकर शुरू की गई शिवस्वराज्य यात्रा का हर जगह स्वागत हो रहा है।

ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के बूते भाजपा के मंत्री कितनी सीट जीतेंगे, इसका दावा कर रहे हैं। ईवीएम पर कुछ कहा जाय तो 40 पैसे के लावारिस भक्त सोशल मीडिया पर सवाल उठाते हैं कि आप भी ईवीएम पर जीत कर आये हैं न? ईवीएम पर राय रखते हुए डॉ कोल्हे ने चुनौती दी कि, ईवीएम को लेकर संदेह मन में है ही। ईवीएम था इसलिए 60 हजार की लीड से जीता। बैलेट पेपर पर चुनाव कराओ तुंरत इस्तीफा देकर दो-ढाई लाख की लीड से न जीत कर आया तो अपना नाम बदल दूंगा। बहरहाल लोकसभा चुनाव के बाद डॉ कोल्हे और आढलराव के बीच शुरू बयानबाजी पुणे जिले में चर्चा का विषय बन गई है।

क्या कहा था आढलराव ने

पूर्व सांसद आढलराव ने शिरूर लोकसभा चुनाव क्षेत्र से हुई अपनी हार को वे एक हादसा बताकर कहा कि, भावनाओं की राजनीति औऱ जातीय समीकरण के इस्तेमाल से मुझे हराया गया। मगर चुनाव जीतने के बाद डॉ अमोल कोल्हे कितनी बार अपने निर्वाचन क्षेत्र में आये? छत्रपति संभाजी राजा की जीवनी पर आधारित सीरियल की आड़ में डॉ कोल्हे ने चुनाव में भावनाओं की राजनीति की और जातीय समीकरण के इस्तेमाल से चुनाव जीता। जीतने के चार माह बाद भी वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूर हैं। इन दिनों वे शिवस्वराज्य यात्रा में मशगूल हैं। जहां-जहां उनकी यात्रा के दौरान भाषण दिए वहां- वहां राष्ट्रवादी के नेता दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए। उनकी यात्रा समाप्ति के साथ ही उनकी पार्टी भी खत्म हो जाएगी। आढलराव ने यह भी कहा कि, लोकसभा में अब तक के 37 दिनों में 19 दिन डॉ कोल्हे गैरहाजिर रहे। हड़पसर में एक नगरसेवक के कार्यालय के उदघाटन के बाद वापस कभी वहां नहीं गए। भोसरी के तो वे आसपास भी नहीं फटके। जो लोगों के लिए समय नहीं दे सकता वह जनप्रतिनिधि किस काम का? यह सवाल अब जनता उठाने लगी है और उन्हें जिताने का पश्चाताप कर रही है।