एसटी का खर्च कम कर आमदनी बढ़ाने पर जोर – अनिल परब

संवाददाता, पिंपरी। राज्य के परिवहन मंत्री अनिल परब ने गत शाम वाकडेवाडी में एसटी डिपो और दापोडी के एसटी वर्कशॉप में औचक निरीक्षण किया। इसके बाद वे भोसरी के सेन्ट्रल इन्स्टिट्युट ऑफ रिसर्च अँड ट्रान्सपोर्ट (सीआईआरटी ) पहुंचे। यहां परब ने एसटी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें एसटी की आय बढ़ाने के विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की गई। कोरोना की वजह से एसटी महामंडल को भारी नुकसान पहुंचा है। इसके चलते खर्च को कम कर आमदनी बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा, यह जानकारी उन्होंने दी।
परिवहन मंत्री ने कहा, डेढ़ साल में एसटी पर कोरोना महामारी का भारी असर पड़ा है। इसलिए एसटी की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। एसटी की लागत कम करके, आय के स्रोत को बढ़ाकर, मार्गों को सूसूत्रीकरण करके, कुछ बसों के फेरों को समेकित करके एसटी के राजस्व में वृद्धि के प्रयास किए जा रहे हैं। कोरोना के दौरान कुछ समय तक एसटी की आय शून्य रही। एसटी को पूरी तरह से चालू होने में अभी भी दो से तीन महीने लग सकते हैं। इस दौरान एसटी को होने वाले आर्थिक नुकसान से बचने का प्रयास जारी है। लागत कम करके राजस्व कैसे बढ़ाया जा सकता है? इस पर पूरा जोर दिया जा रहा है।
किसी भी हाल में एसटी का निजीकरण नहीं 
एसटी महाराष्ट्र की पहचान है। परिवहन मंत्री अनिल परब ने एसटी के निजीकरण पर चर्चा को समाप्त करते हुए कहा, इसलिए कोई कुछ भी कहे, एसटी का निजीकरण नहीं होगा। किसी भी एसटी कर्मचारी का वेतन बकाया नहीं रहेगा। इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए राज्य सरकार ने एसटी को 600 करोड़ रुपये दिए हैं। इसलिए अब सैलरी जैसी जरूरी चीजों की कोई दिक्कत नहीं होगी। परिवहन मंत्री अनिल परब ने दापोड़ी में एसटी वर्कशॉप का निरीक्षण किया। इस अवसर पर महामंडल के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक शेखर चन्ने उपस्थित थे। बस निर्माण प्रक्रिया, इसके लिए आवश्यक समय, उपलब्ध सुविधाएं, कर्मचारियों की कठिनाइयों को समझा। उन्होंन कर्मचारियों के साथ सीधे बातचीत कर उनके काम करने के तरीकों के बारे में जानकारी प्राप्त की।