ई-कॉमर्स कंपनियां अब नहीं देंगी भारी छूट और कैशबैक!

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – ऑनलाइन शॉपिंग पर भारी डिस्काउंट और कैशबैक के दिन अब लदने वाले हैं। ई-कॉमर्स कंपनियों की वजह से घरेलू रिटेलर्स लंबे समय से घाटे की शिकायत कर रहे हैं। नोटबंदी और जीएसटी के बाद अब ये मुद्दे भी जोर पकड़ने लगा है। द कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) और स्वदेशी जागरण मंच (आरएसएस संबद्ध) ने स्थानीय किराना और छोटे दुकानदारों की तरफ से विरोध दर्ज कराया है। जबकि, यूरेका फोर्ब्स ने 200 ऐसे वितरकों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया है, जिन्होंने अपना सामान ई-कॉमर्स वेबसाइट पर जाकर के बेचा।

वहीं, सरकार ने भी ई-कॉमर्स कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए योजना बनाना शुरू कर दिया है। इस योजना के जरिए छोटे व्यापारियों को नुकसान पहुंचाने वाले व्यवहारों पर शिकंजा कसा जाएगा। सूत्रों का कहना है कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय उन कदमों पर विचार कर रहे है जिससे घरेलू रिटेलर्स के लाभ-नुकसान को ध्यान में रखा जा सके और ई-कॉमर्स क्षेत्र को मजबूत किया जा सके।

सरकार की नीति को स्पष्ट करते हुए कुछ अधिकारियों ने कहा कि योजना का उद्देश्य  स्थानीय ट्रेडर्स को लुभाना नहीं है। बल्कि इसका उद्देश्य विश्व व्यापार संगठन द्वारा वैश्विक तौर पर एक ऐसी नीति बनाना है जिससे कि ई-कॉमर्स को विनियमित किया जा सके। कुछ ऐसा जिससे कि अमेरिका और चीन को एकजुट किया जा सके जो इस समय ट्रेड वॉर में लिप्त हैं।

एक ड्राफ्ट ई-कॉमर्स नीति, जिसे बीते जुलाई में हितधारकों के साथ साझा किए जाने के कुछ दिनों के भीतर ही सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए अस्वीकार कर दिया गया था, इसमें छूट को नियंत्रित या उसपर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। इसमें प्रस्ताव दिया गया था कि घरेलू ई-कॉमर्स कंपनियों को सहयोग प्रदान किया जाए जबकि कुछ हिस्सों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दी गई थी। हालांकि एफडीआई को लागू नहीं किया गया था। इसके बाद ई-कॉमर्स को नियंत्रित करने का मुद्दा वापस आ गया है।