Dr. Sulakshana Shilwant-Dhar | राष्ट्रवादी की नगरसेविका डॉ. सुलक्षणा शिलवंत- धर को मिली राहत

पिंपरी : मुंबई हाईकोर्ट (Mumbai High Court) ने मंगलवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस की पार्षद डॉ. सुलक्षणा शिलवंत-धर (Dr. Sulakshana Shilwant-Dhar) का नगरसेवक पद रद्द करने के संभागीय आयुक्त (Divisional Commissioner) के फैसले को खारिज कर दिया। यह आदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जी.एस एस कुलकर्णी (Judge G.S.S Kulkarni) ने दिया है, यह जानकारी पार्षद सुलक्षणा शिलवंत धर (Dr. Sulakshana Shilwant-Dhar) ने बुधवार को पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम (PCMC) में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में दी। इस मौके पर विपक्ष के नेता राजू मिसाल, राष्ट्रवादी काँग्रेस महिला अध्यक्षा वैशाली कालभोर, नगरसेविका डॉ वैशाली घोडेकर, संगीता ताम्हाणे उपस्थित थे।

 

शिवसेना के पूर्व पार्षद जितेंद्र ननावरे (Jitendra Nanaware) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस की पार्षद सुलक्षणा शिलवंत-धर के पार्षद पद को रद्द करने की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि उनका एडिसन लाइफ साइंस कंपनी (Edison Life Science Company) से सीधा संबंध था, जिसने कोरोना काल में पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम को 10 लाख मास्क की आपूर्ति की थी। इस मामले की जांच संभागीय आयुक्त कार्यालय ने की थी। पूछताछ के अंत में, यह नतीजा निकाला गया कि सुलक्षणा शिल्वत धर नगर निगम के सदस्य के रूप में रहने में असमर्थ है। संभागीय आयुक्त ने स्पष्ट निष्कर्ष दिया था कि उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। हालांकि अभी तक नगर निगम प्रशासन को पद रद्द करने के संबंध में कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। इसलिए शिलवंत ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

 

इस बीच, 6 दिसंबर को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जी एसकुलकर्णी के समक्ष सुनवाई हुई। 21 दिसंबर को मामले की दोबारा सुनवाई हुई। इस सुनवाई में, शिकायतकर्ताओं के वकील ने स्वीकार किया कि मंडलायुक्त द्वारा जारी गलत आदेश अधिकार क्षेत्र और अधिकार के बिना था और इस मामले में मंडलायुक्त को पार्षद के पद को रद्द करने की कोई शक्ति नहीं है। इसलिए सुलक्षणा शिलवंत-धर का पद बरकरार रखा गया है। उन्होंने कहा कि, दरअसल, मेरे भाई की कंपनी एडिसन लाइफ साइंसेज, जो मेडिकल के क्षेत्र में काम कर रही थी, ने निगम के साथ किसी तरह का व्यवहार नहीं किया था और जान-बूझकर इससे परहेज किया था। आपातकालीन लॉकडाउन के दौरान मास्क कहीं भी उपलब्ध नहीं थे, इसलिए मेरे भाई की कंपनी ने नगर आयुक्त के अनुरोध पर और उनके द्वारा निर्धारित दरों पर अच्छी गुणवत्ता वाले मास्क उपलब्ध कराए थे। इससे मेरा कोई सरोकार नहीं रहने के बावजूद मुझे इसमें घसीटने की साजिश रची गई जबकि मेरा कंपनी से कोई लेना-देना नहीं था। सुलक्षणा शिलवंत धर ने सवाल उठाया कि माननीय नगर आयुक्त द्वारा इस तथ्य को माननीय संभागीय आयुक्त के संज्ञान में लाए जाने के बाद भी संभागीय आयुक्त ने ऐसा निष्कर्ष क्यों निकाला?

 

 

 

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