Dr. Balram Bhargava | महाराष्ट्र वन विभाग के बिना को-वैक्सीन बनाना असंभव था ;  ICMR के डॉ. बलराम भार्गव का खुलासा 

मुंबई (Mumbai News) : Dr. Balram Bhargava | भारतीय स्वदेशी कोरोना वैक्सीन को-वैक्सीन (covaxin) को दुनिया के कई देशों से मान्यता मिल गई है।  लेकिन क्या आपको जानकारी है कि इस वैक्सीन के ट्रायल में रीसस मकड़ी  ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई  थी। गोइंग वायरल: मेकिंग ऑफ़ को-वैक्सीन द इनसाइड स्टोरी (Making of Co-Vaccine The Inside Story) इस पुस्तक में इसका उल्लेख किया गया है। पुस्तक में इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के महासंचालक डॉ. बलराम भार्गव (Dr. Balram Bhargava) ने देश के स्वदेशी वैक्सीन बनाने, ट्रायल और मंजूरी जैसी कई बातों का उल्लेख किया है।  जिसे लेकर अब तक किसी को जानकारी नहीं थी।
इस पुस्तक में आईसीएमआर (ICMR) के महासंचालक दवारा कोरोना संक्रमण के दवा की खोज करना भारतीय वैज्ञानिकों (Indian scientist) के सामने एक बड़ी चुनौती थी।  वैक्सीन तैयार करने के लिए लैब का नेटवर्क विकसित करना, टेस्टिंग, उपचार और सिरो सर्वे तक नई टेक्नोलॉजी के साथ कई महत्वपूर्ण बातों का खुलासा किया गया है।  डॉ. भार्गव (Dr. Balram Bhargava ) ने कहा कि वैक्सीन की सफलता के पीछे नायक केवल मानव ही नहीं है, क्योंकि इसमें 20 मकड़ियों का भी योगदान है।
इसकी वजह से आपमें से बहुत लोगों के पास अब जीवनरक्षक वैक्सीन है।  हम ऐसे मोड़ पर पहुंच गए थे जहां हमें जानकारी थी कि वैक्सीन (Vaccine) छोटे प्राणियों में एंटीबॉडीज तैयार कर सकता है।  इसके अगले चरण में मकड़ी जैसे बड़े प्राणी पर ट्रायल करना था।  जिसकी शरीर की रचना और रोगप्रतिरोधक शक्ति मानव जैसी होती है।  दुनियाभर के मेडिकल रिसर्च  (Medical Research) में इस्तेमाल होने वाले रीसस मैकैक मकड़ी इस तरह के रिसर्च के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।


वैक्सीन कैसे विकसित की गई

ICMR – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी (National Institute of Virology) की लेवल 4 लैब, जी प्राइमेट स्टडी के लिए देश में एकमात्र अत्याधुनिक लैब है।  इसने महत्वपूर्ण रिसर्च करने की चुनौती एक बार फिर से स्वीकार की।  इसके बाद सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि रीसस मेकैक मकड़ी कहा से लाना है क्योंकि देश में मेकैक के प्रजनन की लैब में नहीं हो सकती है।   इसके लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी  के रिसर्चर ने देश के कई प्राणी संग्रहालय और संस्था से संपर्क किया।  इसके लिए युवा मकड़ी की जरुरत थी।
वैक्सीन के ट्रायल के लिए ICMR-NIV की टीम ने महाराष्ट्र (Maharashtra) के कई क्षेत्रों में मकड़ी की पहचान और पकड़ने के लिए मिले।  उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से इन मकड़ियों के सामने अन्न संकट खड़ा हो गया था।  इसलिए ये घने जंगलों में  गए थे।  इसके बाद वैज्ञानिकों की मदद से महाराष्ट्र वन विभाग (Maharashtra Forest Department) ने हज़ारों स्क्वायर किलोमीटर के जंगल में इन मकड़ियों की तलाश की।  इस दौरान नागपुर में यह मकड़ी मिली।

 

 

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