परमबीर सिंग के पत्र पर विश्वास न रखें, सहआरोपी के रूप में उनकी जांच करें: पूर्व आईपीएस अधिकारी खोपडे

पुणे : मौंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंग ने बिना किसी सबूत के 100 करोड़ वसूली का उल्लेख पत्र में किया है। अगर इसकी जानकारी उन्हे थी तो उन्होने उसी समय कारवाई क्यो नहीं की? यह सवाल उठाते हुए कहा कि फिरौती लेने वालो का साथ देने वाला भी आरोपी होता है। उनकी भी सह आरोपी के रूप में जांच करें, यह विचार पूर्व आईपीएस अधिकारी सुरेश खोपडे ने व्यक्त किया है। सिंग का व्यवहार ठीक न होने का आरोप भी उन्होंने लगाया। खोपडे ने कहा कि परमबीर सिंग के व्यवहार ने 143 अधिकारियों का करियर बर्बाद किया। ऐसे व्यक्ति पर विश्वास रख कर कार्रवाई की, लोकतांत्रिक तरीके से चुन कर आई सरकार में फेरबदल की तो यह लोकतंत्र की हार होगी। इसलिए सिंग द्वारा लगाए गए आरोपों की विस्तृत जांच करे।

परमबीर सिंग के पत्र पर राजनीतिक गलियारों में हलचल शुरू हो गई। भाजपा की ओर से गृहमंत्री अनिल देशमुख का इस्तीफा मांगा जा रहा है। इसी पृष्ठभूमि पर खोपडे ने कहा कि परमबीर सिंग ने इतने गलत तरीके से पत्र लिखा है कि इस पर सह आरोपी के रूप में सिंग पर केस चलाना चाहिए। उस सिंग के खिलाफ सबूत हो सकते हैं। इसलिए गृह मंत्री के इस्तीफे की जगह  परमबीर सिंग की विस्तृत जांच करे।

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि खुद की सीमा में  रहने वाले पुलिस सहयोगियों को पैसा जमा करने का आदेश दिया जाता है। इस तरह से लिखने की उम्मीद एक आईपीएस अधिकारी से नहीं है। राज्य में कोई भी पुलिस अधिकारी धुले हुए चावल की तरह नहीं है। सिंगकए पत्र में 100 करोड़ का उल्लेख किया गया है। उस पर विश्वास न करे। वाझे नाम के पुलिस अधिकारी का कारनामा और गैरजिम्मेदारी व सिंग के पत्र का मतलब महाराष्ट्र पुलिस नहीं है। सिंग ने जो कदम उठाया है उससे लग रहा है कि राज्य के आईपीएस अधिकारी स्वार्थी होते हैं। सिंग के व्यवहार से महाराष्ट्र पुलिस को कमजोर दिखाने की कोशिश हो रही है। इसलिए सरकार को ऐसे आईपीएस अधिकारिओ को ट्रेनिंग देने के बारे में विचार करना पड़ेगा। यह सुझाव भी खोपडे ने दिया है।