मंदी जैसे वातावरण से निराश और परेशान नहीं हो

पिंपरी, 17 जनवरी : देश में मंदी जैसा वातावरण होने के बावजूद नागरिक घबराए नहीं. फिलहाल देश की अर्थव्यवस्था बड़े संक्रमण के दौर से गुजर रही है. वाहन निर्माण, वाहनों के पार्ट्स का निर्माण, निर्माणकार्य उद्योग जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मंदी का असर हुआ है. आने वाले समय में स्थिति में सुधार के लिए नागरिकों को घबराने की जरूरत नहीं है. ऐसे विचार गणमान्यों ने व्यक्त किए है.
रोटरी क्लब ऑफ पिंपरी चिंचवड़ द्वारा आयोजित शिशिर चर्चासत्र में आर्थिक मंदी व उपाय योजना विषय पर परिसंवाद सम्पन्न हुआ.

इस चर्चासत्र में आर्थिक विशेषज्ञ अभय तिलक, मराठा चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड एग्रीकल्चरल के पूर्व सरसंचालक अनंत सरदेशमुख, किशोर पंप के डायरेक्टर उद्योगपति किशोर देसाई, संजय खानोलकर शामिल हुए. मंच पर रोटरी क्लब ऑफ चिंचबड़ के अध्यक्ष बालकृष्ण खंडागले, सचिव प्रवीण गुणवरे आदि उपस्थित थे.

इस मौके पर अभय तिलक ने कहा कि मंदी को दूर करने के लिए सरकार सही दिशा में कदम उठा रही है. लेकिन इसका परिणाम तुरंत नजर नहीं आएगा. मंदी नहीं है और मंदी काफी है. इस तरह के दो विचारों वाले लोग समाज में मौजूद है. मंदी का हवा 12 वर्षों से चल रही है. वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी केवल 2 फीसदी है. यह मंदी की बड़ी वजह है.

सरदेशमुख ने कहा कि फिलहाल रिसेशन का स्लो डाउन चल रहा है. वेतन में कटौती होने सं मंदी है. वेतन कम होने से स्लो डाउन समझना होगा. कृषि क्षेत्र से आय कम हुई है. इस क्षेत्र में निवेश कम हुआ है. समस्याएं बढ़ गई है. नौकरी दर केवल 2.1 प्रतिशत है. इस तरह का नकारात्मक चित्र दिख रहा है.

किशोर देसाई ने कहा कि उद्योगों के लिए मंदी का मतलब निवेश का मौका है. कोई भी सरकार हो उद्योग क्षेत्र की समस्या की तरफ ध्यान नहीं देती है. लेकिन राजस्व की दृष्टि से उद्योगों को सोने देने वाली मुर्गी समझा जाता है. सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र पर ध्यान दिया तो मंदी स्थाई रूप से सीमा से बाहर होगी.

संजय खानोलकर ने कहा कि उद्योगों में नये निर्माण, कौशल्य पूर्णता, निपुणता आना चाहिए. उद्योगों को सरकारी मदद मिलनी चाहिए. कार्यक्रम का सूत्र संचालन प्रतिभा कुलकर्णी ने किया जबकि आभार यशवंत महाले ने जताया.