संचार व्यवस्था पर सीधा आक्रमण…आंदोलनकारी किसानों ने 1,411 टावर उखाड़े, अंबानी-अडाणी का विरोध

चंडीगढ़. ऑनलाइन टीम : अंबानी और अडाणी के विरोध में पंजाब की कई जगहों पर रिलायंस जियो के टावर को आंदोलनकारी किसानों ने भारी नुकसान पहुंचाया है। इससे कई इलाकों में दूरसंचार संपर्क व्यवस्था प्रभावित हुई है। जानकारी के अनुसार, कुल 1,411 टावर को तोड़े जा चुके हैं।  पिछले 24 घंटे में 176 से अधिक दूरसंचार टावरों को पंजाब में नुकसान पहुंचाया गया। जिन दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है, उनमें से ज्यादातर जियो और दूरसंचार उद्योग के साझा बुनियादी ढांचा सुविधाओं से जुड़े हैं। इस बीच, मुख्यमंत्री ने कोविड महामारी के बीच दूरसंचार संपर्क व्यवस्था को महत्वपूर्ण बताया और किसानों से आंदोलन के दौरान उसी तरह का अनुशासन और जिम्मेदारी दिखाने को कहा, जिसे वह दिल्ली सीमा पर और पूर्व के विरोध-प्रदर्शन में दिखाते आए हैं।’

जानकारों का कहना है कि किसानों का अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन करना उचित है। इसमें कोई बुराई नहीं है। हालांकि इन सबके बीच पब्लिक प्रॉपर्टी मसलन टावरों को निशाना बनाया जाना उचित नहीं ठहराया जा सकता। संचार के इस दौर में रोटी, कपड़ा और मकान की तरह ये टावर भी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। ऐसे में किसानों को हिंसात्मक विरोध का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। दूसरी तरफ, दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाने के पीछे यह कहानी कही जा रही है कि नये कृषि कानूनों से मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी जैसे उद्योगपतियों को लाभ होगा। इस आधार पर पंजाब में विभिन्न स्थानों पर रिलायंस जियो के टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है   हालांकि, यह अलग बात है कि अंबानी और अडाणी से जुड़ी कंपनियां किसानों से अनाज नहीं खरीदती हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न किसान नेताओं ने खुद आंदोलनकारियों से अपील की थी कि वे मोबाइल टावरों से बिजली न काटें, मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ स्थानों पर यह स्पष्ट रूप से दिख रहा है कि किसान क्रोध में ये कदम उठा रहे हैं, जिन्हें आगे अपना भविष्य अंधकारमय दिख रहा है।

इस बीच,  दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन दूसरे महीने में प्रवेश कर गया है। वहीं बीजेपी और विपक्षी दलों के बीच जुबानी जंग और तेज हो गई है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि नये कृषि कानूनों पर किसानों को गुमराह करने के प्रयास सफल नहीं होंगे। सिंह ने कहा कि जब कभी सुधार लागू किए जाते हैं, तब इसके सकारात्मक परिणाम दिखने में कुछ साल लगते हैं। उन्होंने कहा कि चाहे तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लाए गये 1991 के आर्थिक सुधार हों या फिर वापजेयी सरकार के दौरान लाए गए अन्य सुधार हों, उनके सकारात्मक परिणाम दिखने में चार-पांच साल लग गए।