शिवराय की ऊंचाई को छूना मुश्किल, इसपर विवाद न हो 

 

नागपुर : समाचार ऑनलाइन – जिजाऊ मांसाहेब की प्रेरणा से शिवराय ने नवनिर्माण का रास्ता चुना। अपने पराक्रम और बुद्धि के दम पर स्वराज की स्थापना करने वाले शिवराय का चरित्र को भारत ही नहीं अंग्रेजी लेखकों ने भी सराहा है. शिवराय का नाम काफी ऊंचा है. हम केवल उनके पुतले की ऊंचाई देखते है. इस तरह का दुःख शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे ने जताया है.  साहित्य प्रसार केंद्र प्रतिष्ठान दवारा आईटी पार्क के पर्सिस्टेंट सभागृह में मैं भी जिजाऊ नाम का कार्यकर्म हुआ।

निवेदिका रेणुका देशकार दवारा लिए गए इंटरव्यू में शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे ने जिजाऊ मांसाहेब पर खुलकर बात की. इस दौरान उन्होंने शिवराय के पराक्रम पर भी बहुत कुछ कहा. 81 वर्ष के प्रभाकर मुंडले  को इस मौके पर सम्मानित किया गया. साहित्य प्रसार केंद्र के संस्थापक राजाभाऊ कुलकर्णी की स्मृति में  दिए जाने वाले गौरव पुरस्कार मनीषा क्षीरसागर को दिया गया. इस मौके पर पर्सिस्टेंट के सीओए समीर बेंद्रे उपस्थित थे.
उन्होंने कहा कि जिजाऊ मांसाहेब को मायके में भी जिजाऊ ही कहा जाता था. पुराने घराने में साहेब बोलने की परम्परा थी. शिवराय को तैयार करने वाली जिजाऊ मांसाहेब को लड़ना आता था।  उन्हें हथियार का पूरा ज्ञान था. उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष रूप से उनकी लड़ाई का कोई प्रमाण इतिहास में नहीं है. इस मौके पर उन्होंने शहाजी महाराज के पराक्रम का इतिहास बताया।
नशे से होगा नुकसान 
उन्होंने बताया कि महाराज को बादशाह दवारा पकडे जाने के बाद जिजाऊ मांसाहेब के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी  हो गई. सौभाग्य या स्वराज। शहाजी महाराज को कैसे छुड़ाना है इस पर  विचार की गई. पिता और राज्य को बचाने के लिए शिवाजी महाराज उद्वेलित थे. शिवराय ने अपने बुद्धिचातुर्य से कई असंभव चीजें करके दिखाई। शिवराय की कथा सुनाने के बाद उन्होंने आज के युवाओ से नशे से  रहने की नसीहत दी.