Dhanteras Special : जानें क्या हैं धनतेरस का महत्व, ऐसे करे आज के दिन की पूजा

पुणे : समाचार ऑनलाइन – अगले पांच दिन के त्यौहार का आज पहला दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। आज से ही घरों में दिवाली की सजावट भी शुरुआत भी हो जाती है। इस दिन घरों को स्वच्छ कर, लीप-पोतकर, चौक, रंगोली बनाकर शाम के वक़्त दिया जलाकर माँ लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन वैदिक देवता यमराज का पूजन किया जाता है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है।

पूजन विधि –  
इस दिन यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता हैं। इस दीप को जमदीवा अर्थात् यमराज का दीपक कहा जाता है। रात को घर की स्त्रियां दीपक में तेल डालकर नई रूई की बत्ती बनाकर, चार बत्तियां जलाती हैं। दीपक की बत्ती दक्षिण दिशा की ओर रखनी चाहिए। जल, रोली, फूल, चावल, गुड़, नैवेद्य आदि सहित दीपक जलाकर स्त्रियां यम का पूजन करती हैं। चूंकि यह दीपक मृत्यु के नियन्त्रक देव यमराज के निमित्त जलाया जाता है, अत: दीप जलाते समय पूर्ण श्रद्धा से उन्हें नमन तो करें ही, साथ ही यह भी प्रार्थना करें कि वे आपके परिवार पर दया दृष्टि बनाए रखें और किसी की अकाल मृत्यु न हो।

इसका करें पालन –
– आज के दिन किसी को अपनी वस्तु उधार न दे।
– बाज़ारों से नए बर्तन, वस्त्र, दीपावली पूजन हेतु लक्ष्मी-गणेश, खिलौने, खील-बताशे तथा सोने-चांदी के जेवर आदि भी ख़रीदे         जाते  हैं।
– इस दिन पुराने बर्तनों को बदलना व नए बर्तन ख़रीदना शुभ माना गया है।
– इस दिन चांदी के बर्तन ख़रीदने से तो अत्यधिक पुण्य लाभ होता है।
– इस दिन हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर लगातार तीन बार अपने शरीर पर फेरना तथा कुंकुम     लगाना चाहिए।
– कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, कुआं, बावली, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाना चाहिए।

इसलिए मनाया जाता है धनतेरस –
धनतेरस हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला प्रसिद्ध त्योहार है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को ‘धनतेरस’ या ‘धनत्रयोदशी’ के नाम से जाना जाता है। आज ही के दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता धन्वन्तरि वैद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर प्रगट हुए थे, इसलिए धनतेरस को धन्वन्तरि जयन्ती भी कहते हैं। इसीलिए वैद्य-हकीम और ब्राह्मण समाज आज धन्वन्तरि भगवान का पूजन कर धन्वन्तरि जयन्ती मनाता है।

धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस दिन का विशेष महत्त्व है। शास्त्रों में इस बारे में कहा है कि जिन परिवारों में धनतेरस के दिन यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती।

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