‘सैराट’ जैसा कमाल नहीं कर पाई ‘धड़क’

मुंबई। समाचार ऑनलाइन

श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर और शाहिद कपूर के भाई ईशान खट्टर की फिल्म ‘धड़क’ शुुक्रवार को सभी सिनेमाघरों में रिलीज हो गई। सुपरहिट मराठी फिल्म ‘सैराट’ की रीमेक होने की वजह से इस फिल्म का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार था। साथ ही श्रीदेवी के फैंस उनकी बेटी जाह्नवी को बड़े पर्दे पर देखने के लिए बेताब थे। जाह्नवी फिल्म में बहुत ही खबूसूरत लग भी हैं। इस मामले में जाह्नवी ने श्रीदेवी को पूरी तरह से टक्कर दी है। लेकिन बात करें फिल्म की कहानी की तो यह दमदार नहीं है और धड़क से सैराट जैसे कमाल की आस लगाए बैठे दर्शकों को निराशा ही हाथ लगी है।

ऑनर किलिंग की पुरानी कहानी को नए कलाकारों के साथ पेश किया गया है। फिल्म की कहानी राजस्‍थान के उदयपुर शहर से शुरू होती है। ठाकुर रतन सिंह (आशुतोष राणा) एक हवेली होटल के मालिक हैं और पार्थवी (जाह्नवी कपूर) उनकी लाडली बेटी है। लेकिन वह अपने राजपरिवार के बंधनों और कायदों को पसंद नहीं करती है। रतन सिंह को यह बर्दाश्त नहीं कि कोई उसके फैसले के खिलाफ जाए। पार्थवी के कॉलेज में पढ़ने वाले मधुकर (ईशान खट्टर) को पहली नजर में उससे प्यार हो जाता है। मधुकर के पिता जो छोटे से रेस्तरां के मालिक हैं को ऊंचे घराने की पार्थवी से उसका मिलना अच्छा नहीं लगता। लेकिन मधुकर और पार्थवी इन सब की परवाह नहीं करते। रतन सिंह को पार्थवी और मधुकर के प्यार के बारे में जब पता लगता है तो मधुकर और उसकी फैमिली पर उनका कहर टूट पड़ता है। ऐसे में दोनों उदयपुर से भाग जाते हैं। इसके बाद क्या होता है यह तो आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा।

फिल्म में अभिनय पक्ष
फिल्म में ईशान खट्टर का अभिनय जान्ह्वी कपूर से काफी बेहतर है। इससे पहले भी वो इंटरनेशनल फेम डायरेक्टर माजिद की फिल्म ‘बियॉन्ड इ क्लाउड’ में अपनी प्रतिभा का लोहा दर्शकों और क्रिटिक्स ने मनवा चुके हैं। इस बार भी उन्होंने अच्छा काम किया है। फिल्म सैराट की रीमेक है और फिल्म में जान्ह्वी ऊंचे घराने से हैं इसलिए उन्हें बाइक चलाते, लड़कों पर हुकुम चलाते दर्शाया गया है लेकिन जाह्नवी पर ये अंदाज कुछ सूट नहीं किया। हांलाकि आशुतोष राणा की एक्टिंग में आज भी वही धार बरकरार है, जो फिल्म में जान डाल देती है।

संगीत अच्छा है
फिल्म के संगीत ने रिलीज से पहले ही लोगों को लुभाया था। सो यह अच्छा बन पड़ा है। पहले से पॉपुलर फिल्म के दोनों गाने ‘धड़क है ना’ और ‘पहली बार’ थियेटर में भी अच्छे लगते हैं। इनका फिल्मांकन भी शानदार है।

निर्देशक से ज्यादा थीं उम्मीदें

इस फिल्म के निर्देशक शशांक खेतान से इस बार कुछ ज्यादा ही उम्मीदें थीं। क्योंकि उनकी पिछली दोनों फिल्में ‘हम्पटी शर्मा की दुल्हनिया’ और ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ बॉक्स आफिस पर हिट रहीं। लेकिन शशांक की धड़क नागराज मंजुले की सैराट सा कमाल नहीं कर पाई। फिल्म में कई दृश्यों को बेवजह खींचा गया है। सैराट में जाति व्यवस्था को दिखाया गया था जिससे वह एकदम नई लगी थी। लेकिन निर्देशक शशांक ने धड़क को सिर्फ जाह्नवी ईशान की लव स्टोरी बना दी।
क्लाइमेक्स में बदलाव के बावजूद भी फिल्म दर्शकों के दिलों पर छाप छोड़ने में नाकाम रही है। धर्मा प्रोडक्शन के तड़के से लैस इस फिल्म में सैराट जैसा कुछ भी नया नहीं है।