भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे पुलिस की जांच की उपमुख्यमंत्री ने की समीक्षा

पुणे : समाचार ऑनलाइन – राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार ने यलगार परिषद मामले में कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ पुणे पुलिस कार्रवाई पर संदेह जताते हुए इस मामले में एक विशेष जाँच दल (एसआईटी) की माँग की थी। इस कड़ी में गुुुुरुवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पुणे पुलिस के आला अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान भीमा-कोरेगाँव हिंसा मामले से जुड़ी जॉंच की समीक्षा की  गई। साथ ही जिस पत्र के आधार पर पुणे पुलिस ने बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी की, उस पत्र समेत अन्य दस्तावेज की जानकारी मांगी गई।
मुंबई मंत्रालय में हुई इस बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव संजयकुमार, पुलिस महानिदेशक सुबोध जैयस्वाल, राज्य गुप्तचर विभाग की आयुक्त रश्मी शुक्ला, पुणे पुलिस के सह आयुक्त शिवाजी पवार, विशेष महानिरीक्षक रविंद्र कदम उपस्थित थे। पवार इस मामले में जांच अधिकारी हैं और गिरफ्तारी के वक्त रविंद्र कदम तब पुणे पुलिस के सह आयुक्त थे। समीक्षा के दौरान राज्य सरकार ने पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए रोना विल्सन के पास मिले उस खत जिसमें मोदी राज को खत्म करने आदि का उल्लेख है, की जानकारी मांगी।
भीमा कोरेगाँव मामले पर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और गृह मंत्री अनिल देशमुख ने समीक्षा बैठक में, पुणे पुलिस की जाँच के कई पहलुओं पर सवाल उठाए गए। इस दौरान, पुणे के सह आयुक्त और महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक सुबोध जायसवाल ने उन्हें 30 मिनट तक जानकारी दी। पुणे पुलिस ने गृह मंत्री द्वारा माँगे गए दस्तावेज़ों को देने के लिए और समय माँगा है। बहरहाल पुलिस अधिकारी इतने महत्वपूर्ण मामले की जाँच में सरकार के हस्तक्षेप से ख़ुश नहीं हैं।सरकार बदलने के बाद जाँच में लगे अधिकारी हतोत्साहित महसूस कर रहे हैं।
गौरतलब हो, 21 दिसंबर को, राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार ने यलगार परिषद मामले में कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ पुलिस कार्रवाई में एक विशेष जाँच दल की माँग की थी। भीमा-कोरेगाँव मामले में जाँच एजेंसियों की भूमिका पर शरद पवार ने कहा था, हम मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से इस मामले की जाँच के लिए एक विशेष जाँच दल बनाने के लिए कहेंगे। 18 दिसंबर को पुणे पुलिस ने 19 के ख़िलाफ़ आरोप तय किए थे। इनमें सुधीर धवले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, अरुण फेरेरा, वर्नोन गोंजाल्वेस, सुधा भारद्वाज और वारवरा राव शामिल थे। उनके ख़िलाफ़ ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।