गतिरोध बरकरार…सरकार के साथ बातचीत के पहले किसान आंदोलन पर आज ‘सुप्रीम’ फैसला   

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : नए कृषि कानूनों के खिलाफ  प्रदर्शन कर रहे किसानों की जिद अब उच्चतम न्यायालय पहुंच गई है। सरकार के साथ कई चरणों की बैठक के बाद भी नतीजा नहीं निकल पाया। गतिरोध बरकरार है। किसान कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं, तो सरकार कुछ सुधार की बात स्वीकार कर रही है। इस बीच, किसानों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। आज सोमवार को उस पर सुनवाई होनी है। बता दें कि  17 दिसंबर 2020 को शीर्ष अदालत ने विरोध जताने को मौलिक अधिकार बताते हुए किसानों को हिंसा या किसी भी नागरिक के जीवन या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के बिना विरोध जारी रखने की अनुमति दी थी। 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े की अगुवाई वाली बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

इस बीच, नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों का आंदोलन सोमवार को 47वें दिन में प्रवेश कर गया। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले विभिन्न किसान संगठनों के नेताओं की अगुवाई में आंदोलन जारी है। केंद्र सरकार के साथ  अगले दौर की बातचीत 15 जनवरी को होनी है। किसान संगठनों ने एलान किया है कि 26 जनवरी से पहले उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वो गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालेंगे।

इधर, कांग्रेस ने बीजेपी पर ‘जिद्दी और घमंडी रवैया’ अपनाने का आरोप लगाया है। पार्टी 15 जनवरी को सभी राज्यों में ‘किसान अधिकार दिवस’ मनाएगी और उसके नेता एवं कार्यकर्ता राजभवनों का घेराव करेंगे। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि ‘समय आ गया है कि मोदी सरकार देश के अन्नदाता की चेतावनी को समझे, क्योंकि अब देश के किसान काले कानून खत्म करवाने के लिए करो या मरो की राह पर चल पड़े हैं।’