गौरतलब है कि खरीफ सीजन की फसल आने में बस एक महीना ही बचा है। इस पृष्ठभूमि पर राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति पैदावार तय एमएसपी से कम पर नहीं खरीदेगा, चाहे वह व्यापारी ही क्यों न हो। अगर कोई ऐसा करता पकड़ा गया तो उसे एक साल की जेल की सजा हो सकती है और 50,000 रुपये जुर्माना भी देना पड़ सकता है। अब ऐसे किसी ‘बाजार क्षेत्र’ का अलग से कोई निर्धारण नहीं होगा जहां जिंसों की खरीद-बिक्री की जाती हो। इसकी जगह अब पूरे राज्य को ही एक बाजार माना जाएगा और व्यापारियों को किसी एपीएमसी बाजार में कारोबार के लिए अलग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी। यानी इससे व्यापारियों के लिए भी एक तरह की सहूलियत है। वे महाराष्ट्र की किसी भी मंडी से खरीद कर सकेंगे।
इस फैसले से किसान खुश हैं तो वहीं व्यापारियों में नाराज़गी है और वे न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार भाव मे भारी अंतर को देखते हुये परेशान हैं। उनका कहना है कि अरहर की एमएसपी 5450 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि बाजार भाव 3900 से 4000 है। व्यापरियों का दावा है कि सरकार अपना अरहर खुद 3600 रुपये क्विंटल बेच रही है। इसी तरह मूंग की एमएसपी 6975 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि बाजार भाव 5200 से 5300 है। चना की एमएसपी 4400 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि बाजार भाव 4000 है। इसी तरह, ज्वार की एमएसपी 2300 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि बाजार भाव 1600 से 1700 है और उड़द की एमएसपी 4400 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि बाजार भाव 3700 से 4000 है। हालांकि अभी इस फ़ैसले को लेकर सरकार की तरफ से व्यापरियों को अधिकृत सूचना नही मिली है।