नगरसेवक बालासाहेब ओव्हाल ने किया खुद को भाजपा से दरकिनार करने का फैसला

नहीं खत्म हो पा रहा सत्तादल का आंतरिक असन्तोष!

पिंपरी : पुणे समाचार

सत्ता की वर्षपूर्ति से भाजपा नगरसेवकों व कार्यकर्ताओं में रहा असन्तोष कहीं खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। वरिष्ठजनों से शिकायत, आरोप- प्रत्यारोप, इस्तीफों की पेशकश, अनशन के दौर के बाद अब सत्ताधारी दल के एक नगरसेवक बालासाहेब ओव्हाल ने खुद को भाजपा से दरकिनार करने का फैसला किया है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे केवल भाजपा की सियासत से अलिप्त होने जा रहे हैं, नगरसेवक पद त्यागने नहीं। मगर यदि जरूरत पड़ी तो यह कदम उठाने से भी वे पीछे नहीं हटेंगे।

असल में नगरसेवक ओव्हाल ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित की है, जिसका न्योता उन्होंने सोमवार को भेजा है। संवाददाता सम्मेलन के विषय के तौर पर उन्होंने भाजपा की सियासत से अलिप्त रहने की घोषणा करने और इस बारे में अपनी भूमिका स्पष्ट करने को लेकर उल्लेखित किया है। उनके इस न्यौते ने मनपा के सियासी गलियारे में हड़कंप मचा दिया है। सत्तादल के नेताओं को जब इस बारे में पता चला तो वे भी सकते में आ गए। संवाददाताओं समेत हर कोई उनसे इतना बड़ा फैसला लेने की वजह जानने की कोशिशों में जुटा रहा, हांलाकि ओव्हाल ने इसके बारे में आज दोपहर संवाददाता सम्मेलन के जरिए भूमिका स्पष्ट करने की बात कही।

विधानसभा चुनाव के दौरान पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस से जुड़े रहे विधायक, नेता और नगरसेवकों द्वारा भाजपा को ‘हाईजैक’ किये जाने के बाद से पार्टी के पुराने निष्ठावानों में असंतोष व्याप्त है। पिंपरी चिंचवड़ मनपा चुनाव में टिकट वितरण से लेकर सत्ता परिवर्तन के बाद महापौर, स्थायी समिति अध्यक्ष से लेकर मामूली प्रभाग स्वीकृत सदस्य पद के चुनाव तक हर जगह सत्तादल के दोनों विधायकों की मनमानी और एकाधिकारशाही नजर आयी। इस साल स्थायी समिति अध्यक्ष पद के चुनाव से सत्तादल में शुरू हुआ इस्तीफों का दौर हालिया हुए विषय समिति सदस्य पद के चुनाव तक जारी रहा। प्रभाग स्वीकृत सदस्य के चुनाव में तो पुराने निष्ठावानों ने अनशन का रास्ता अपनाया। यह सब जैसे तैसे शांत होने के बाद पहली बार नगरसेवक चुने गए बालासाहेब ओव्हाल के उक्त फैसले से भाजपा का आंतरिक असंतोष फिर बाहर आने के आसार नजर आ रहे हैं।