कोरोनावायरस : भारत में अब तक कुल ‘इतने’ मामले आए सामने, अब भी हो रहे थर्मल स्क्रीनिंग, जानें क्या है ?    

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – चीन में महामारी का रूप ले चुका कोरोनावायरस अब दुनिया भर में पैर पसार रहा है।  कोरोनावायरस के नाम से लोगों में डर का खौफ देखा जा रहा है। चीन समेत कई देशों में संदिध सहमे हुए है। अलग-अलग रिपोर्ट्स के मुताबिक, जानलेवा कोरोनावायरस से चीन में मरने वालों का आंकड़ा 1500 पहुंच गया है। मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अब तक 28 देशों में कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यदि यह वायरस भारत में फ़ैल जाता है, तो हम इससे निपट पाएंगे या नहीं ? तो बता दें कि इस स्थिति से निपटना देश के लिए नामुमकिन हो जाएगा, क्योंकि देशभर के अस्पतालों में डॉक्टर्स और मेडिकल सुविधाओं की भारी कमी है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर्स की लगभग 41.32 फीसदी की कमी है। यहां के लिए सरकार द्वारा कुल 158,417 पद स्वीकृत किए गए हैं, फिर भी 65,467 पद अभी भी रिक्त हैं। वहीं एक्सपर्ट डॉक्टरों की लगभग 82 फीसदी कमी है इसलिए अगर कोरोना वायरस देश में पैर पसारता है, तो इससे निपटना सरकार के लिए बेहद ही कठिन हो जाएगा।

अब तक कुल तीन मामले सामने आए –

भारत में अब तक संक्रमण के तीन ऐसे मामले सामने आए हैं जिनकी पुष्टि हुई है। सारे मामले केरल के हैं जहाँ उन्हें भर्ती रखा गया है। ये सभी किसी न किसी तरह वुहान की यात्रा से जुड़े हैं। उनकी जाँच की गई और पॉज़िटिव पाए जाने पर ट्रीटमेंट दिया गया। फ़िलहाल ये नेगेटिव साबित हो गए हैं। उनमें से एक को डिस्चार्ज भी कर दिया है। बाकी दो को भी कुछ दिनों में डिस्चार्ज किया जा सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि ”हमने ट्रैवेल पॉलिसी में फिलहाल बदलाव किए हैं। लोगों को ट्रैवेल करने से मना किया था। जो वीज़ा पहले से जारी हो चुके थे उन्हें भी ख़त्म कर दिया है। विदेशी नागरिक जो चीन से भारत की यात्रा पर थे उनका वीज़ा ख़त्म कर दिया गया है।”

क्या है थर्मल स्क्रीनिंग –

थर्मल स्क्रीनिंग के ज़रिए कोरोना वायरस या फिर ऐसे ही किसी अन्य रोग से पीड़ित व्यक्ति की पहचान की जा सकती है। दरअसल थर्मल स्क्रीनिंग से एक स्वस्थ्य व्यक्ति और किसी तरह के विषाणु से ग्रस्त व्यक्ति में साफ़ अंतर पता चलता है। इसकी ख़ासियत यह भी है कि इससे निकलने वाली तरंगों का कोई दुष्प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता। हालांकि इसका इस्तेमाल विशेषज्ञों की देखरेख में किए जाने की ही सलाह दी जाती है। थर्मल स्क्रीनिंग की प्रक्रिया में लोगों को एक स्कैनर से होकर गुजरना पड़ता है। यह स्कैनर व्यक्ति के शरीर के तापमान के आधार पर संदिग्ध रोगी का पता लगाता है।

सामान्य व्यक्ति के मुकाबले कोरोना से पीड़ित शख़्स के शरीर का तापमान अधिक होगा। संदिग्ध शख़्स को मेडिकल जांच के लिए भेजा जाता है। इसके साथ थर्मल स्कैनर एक इंफ्रारेड कैमरे की तरह काम करता है। इस स्कैनर के जरिए गुजरने वाले व्यक्ति के शरीर में मौजूद विषाणु इंफ्रारेड तस्वीरों में दिखाई पड़ते हैं। विषाणुओं की संख्या अधिक या खतरनाक स्तर पर होने पर व्यक्ति के शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है।