Coronavirus: गुजरात हाई कोर्ट ने कहा, ‘भारत की तुलना सिर्फ चीन से हो सकती है, लेकिन…’

ऑनलाइन टीम- गुजरात हाई कोर्ट ने भविष्य में कोरोना की लहरों पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को कोरोना के मद्देनजर भविष्य के खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य व्यवस्था को और अधिक कुशल बनाने की जरूरत है। इस महामारी के तीसरी लहर आने की संभावना को देखते हुए स्वास्थ्य व्यवस्था को सशक्त बनाने की जरूरत है। कोर्ट ने लोगों के मास्क पहनने, सामाजिक भेदभाव और स्वच्छता के नियमों का पालन न करने पर भी चिंता व्यक्त की।

लोगों द्वारा नियमो का पालन न करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, अदालत ने कहा कि भारत में चीन की तरह सख्त अनुशासन पालने के संदर्भ में नियमों को लागू नहीं किया जा सकता। न्या. बेला त्रिवेदी और भार्गव डी. करिया की खंडपीठ ने गुजरात सरकार को कोरोना के मद्देनजर स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने पर ध्यान देने की सलाह दी है। कोर्ट ने गुजरात में कोरोना की स्थिति और इससे जुड़े मुद्दों पर खुद संज्ञान लेते हुए सुमोटो पद्धति से जनहित याचिका दायर की। इसी याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने यह विचार व्यक्त किया।

राज्य के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था को दूरदर्शिता से मजबूत करने की जरूरत है, ऐसा भी कोर्ट ने कहा। महामारी के तीसरी और चौथी लहर होने पर आप क्या करेंगे? तीसरी लहर के बाद चौथी लहर आएगी क्योंकि राज्य के लोग मास्क पहनने, सामाजिक दूरी अपनाने जैसे नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। देश में कोई भी बहुत गंभीरता से नियमों का पालन नहीं कर रहा है इसलिए हर छह महीने में एक नई लहर आएगी, ऐसा अदालत ने कहा।

सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल कमल त्रिवेदी ने कहा कि हमें इस संदर्भ में तैयार रहने की जरूरत है। साथ ही कोरोना की पृष्ठभूमि पर त्रिवेदी ने भारत की तुलना यूरोपीय देशों से की तो कोर्ट ने कहा कि भारत की तुलना चीन से ही की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि चीन ने कोरोना से निपटने के लिए अच्छा काम किया है, हमें बस इसकी तुलना चीन से करनी होगी। उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है। लेकिन वहां के नियमों की तरह यहाँ अनुशासन के सख्त नियम लागू नहीं किए जा सकते। इसलिए हमें स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने पर ध्यान देना होगा।