कोरोना वायरस से पीड़ित ने बताया कि कैसे उसे लगा वह नरक के दरवाजे पर खड़ा है, बताया अपने जीवन का भयानक अनुभव 

नई दिल्ली, 17 फरवरी – कोरोना से अब तक 1765 लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना वायरस से बच कर बाहर आये 21 वर्षीय छात्र टाइगर ने बताया कैसे उसकी जिंदगी नरक बन गई थी. उसने बताय की वायरस पीड़ित होने से लेकर इलाज चलने तक उसके लिए यह किसी भयानक सपने जैसे था. उसे 21 जनवरी को तबीयत ख़राब हुई तो तेज़ बुखार था. वह वुहान के टॉंगी हॉस्पिटल पंहुचा तो डॉक्टरों ने यह कहकर वापस भेज दिया कि उन्हें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं दिखाई दे रहे है. इसके बाद टाइगर घर के पास के एक निजी हॉस्पिटल से दवा लेकर घर वापस आ गया. उसके पिता एक हेल्थ वर्कर है जो लोगों को इस वायरस से बचने के लिए जागृत कर रहे है.

टाइगर ने बताया कि चार दिनों में उसकी हालत काफी गंभीर हो गई. टेक्स बुखार के साथ उसके शरीर में दर्द बढ़ता जा रहा था. खांसी होने पर लगता था जैसे उसके प्राण निकल जाएंग। डॉक्टरों की सलाह पर उसे दुबारा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. जांच में कोरोना वायरस फेफड़ो तक पहुंच गया था.
टाइगर को न्यूक्लिक एसिड की जांच होनी थी लेकिन यह इतना महंगा है कि डॉक्टरों ने उसे वापस घर भेज दिया। घर आया तो दादी और भाई में भी वही लक्षण दिखाई दिए. टाइगर ने कहा, मुझे अब मौत बेहद करीब नज़र आने लगी थी. मुझे लगा ,मैं जैसे नरक का दरवाजा खटखटा रहा हूं।
मैं फिर हॉस्पिटल पहुंचा और जाँच कराई। मेरा 102 बुखार था. उसे एचआईवी मरीजों को दी जाने वाली एक कॉम्बिनेशन ड्रग दी गई. शाम होने तक उसके बुखार में कमी आई. सही इलाज की वजह से टाइगर बेहतर होने लगा. डॉक्टरों ने उन 5 दिन तक एंटी वायरल ड्रग पर रखा और घर भेज देते थे.
बाद में हुयो जांच में उसका रिपोर्ट नेगेटिव आया. उसे एक स्थानीय होटल में ठहराया गया और उसकी सुरक्षा के लिए एक सिक्योरिटी गार्ड को तैनात किया गया.