24 घंटे में कोरोना 4.12 लाख के पार…पूरे देश में दहशत, 3,980 की मौत

ऑनलाइन टीम. नई दिल्ली : कोरोना के कारण बीते 24 घंटे में देशभर में 3980 लोगों की मौत हुई है। अभी तक 1 दिन में कोरोना के कारण हुई यह सबसे अधिक मौतें हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान देशभर में 4.12 लाख नए कोरोना रोगी भी सामने आए हैं। इससे पहले अभी तक 1 दिन में इतने कोरोना रोगी पहले कभी नहीं पाए गए थे। देश में इस समय एक्टिव कोरोना रोगियों की संख्या 35 लाख 66 हजार 398 हो चुकी है। यानी देशभर में 35.66 लाख से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से अभी भी ग्रस्त हैं। कोरोना के कारण अभी तक पूरे देश में 2,30,168 लोगों ने अपनी जान गवाई है।

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की खतरनाक रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। कोरोना मरीजों और कोविड से होने वाली मौतों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी से दहशत का माहौल है। सैकड़ों लोग बिना इलाज के ही दम तोड़ रहे हैं। शवों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाटों पर कई कई घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है। लगातार   अस्पतालों में बेड, वेंटिलेटर, रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की किल्लत जारी है।

महाराष्ट्र के बाद अब कर्नाटक में सर्वाधिक मामले सामने आ रहे हैं। बुधवार को कर्नाटक में करीब 50 हजार मामले सामने आए जिनमें से अकेले बंगलुरू में ही 25 हजार के करीब केस सामने आए। बुधवार को महाराष्ट्र में 920, यूपी में 357. कर्नाटक में 346, पंजाब में 186, हरियाणा में 181, तमिलनाडु में 167 मौतें हुईं।

भयावह स्थिति, प्रतिदिन किसी अपने को खोने का डर, परिवार के प्रति चिंता और परिस्थितिजन्य दबाव, हर व्यक्ति इसका अनुभव कर रहा है।  केंद्र सरकार ने हर व्यवस्था का ब्लूप्रिंट बनाया है, राज्य सरकारों को केंद्र के बनाए नियमों का पालन करना है, लेकिन राज्य सरकारों ने नीति के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी उस प्रशासनिक अमले को सौंप दी, जिसके बूते कभी कोई व्यवस्था दुरुस्त नहीं हुई, और कुछ बेहतर होने की उम्मीद भी बेमानी है। जब पहली लहर में ही व्यवस्था चरमराने की आशंका थी, तो राज्य सरकारों को अपने स्तर पर राज्य की जनसंख्या के आधार पर स्थायी या वैकल्पिक व्यवस्था बनानी चाहिए थी।

जब संक्रमण की दर कम हुई, तभी राज्यों को स्वास्थ्य सुविधा बेहतर बनाने में ताकत झोंकनी चाहिए थी। मगर दुखद पहलू यह है कि किसी भी राज्य सरकार ने कोरोना काल में मिली राहत का उपयोग स्वास्थ्य सेवा सुदृढ़ करने में नहीं किया। यहां तक कि कोविड मरीजों से भरे जो अस्पताल खाली हुए उनके कोविड सेंटर बंद कर दिए गए। यही गलती उन पर भारी पड़ी। अब हालात विस्फोटक हैं।