लगातार हो रही नोटों की छपाई, रविवार को भी नासिक प्रेस में छुट्टी नहीं, कारण ‘यह’ है

नासिक. ऑनलाइन टीम : नासिक की करेंसी नोट प्रेस  ने रविवार को छुट्टी के दिन भी काम करना शुरू कर दिया है। इसके पीछे कारण कोई नोटबंदी नहीं, बल्कि लक्ष्य पूरा करना है। एक सूत्र ने बताया कि इस वित्त वर्ष में उसे जितना टारगेट दिया गया था, अभी वह उसके सिर्फ आधे नोट ही छाप पाई है, जबकि तीसरी तिमाही भी खत्म होने वाली है। इसकी एक बड़ी वजह ये है कि नासिक की करेंसी नोट प्रेस 22 मार्च से करीब दो महीनों तक पूरी तरह से बंद रही। इस करेंसी नोट प्रेस में छपाई का काम मई के दूसरे पखवाड़े में शुरू हुआ था, वो भी काफी कम लोगों के साथ। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने  इस वित्त वर्ष में कुल 510 करोड़ करंसी नोट छापने का टारगेट सेट किया है।

इस प्रेस में कई डिनोमिनेशन के नोट छापे जाते हैं, जो सरकार की सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी एसपीएमसीआईएल (SPMCIL) की ही एक इकाई है। देश में अभी कुल चार नोट प्रेस हैं, जिनमें दो एसपीएमसीआईएल की हैं और दो भारतीय रिजर्व बैंक की हैं और नासिक की प्रेस इनमें से ही एक है। एसपीएमसीआईएल की दूसरी यूनिट मध्य प्रदेश के देवास में है। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक की दो यूनि़ट कर्नाटक के मैसूर और पश्चिम बंगाल से सालबोनी में हैं।

मिली जानकारी के अनुसार, नासिक प्रेस ने 100 रुपये और 50 रुपये के नोट छापने का टारगेट पूरा कर लिया है। मौजूदा समय में यह 500 और 20 रुपये के नोट छाप रही है और जल्द ही यहां पर 200 रुपये और 10 रुपये के नोटों की छपाई भी शुरू होगी।
नासिक की करेंसी नोट प्रेस का निर्माण अंग्रेजों ने 1924 में किया था। 1925 से इस प्रेस में पोस्टल स्टेशनरी और स्टैम्प्स की प्रिंटिंग शुरू हुई। 1928 में पहली बार भारत में पांच रुपए के करेंसी नोट की प्रिंटिंग की गई। यह पहला मौका था जब भारत सरकार का पहला नोट छपा हो। 1980 तक सिक्युरिटी प्रेस में ही नोट छापने का काम चल रहा था। इसके बाद अलग से करेंसी नोट प्रेस का निर्माण किया गया। इसके बाद इन संस्थानों को केंद्र सरकार ने खुद से अलग करते हुए 10 फरवरी 2006 सिक्युरिटी प्रिटिंग-मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के रूप में स्थापित किया, जो फाइनेंस मिनिस्ट्री के अधीन अपना कार्य कर रहा है। आज भी नासिक नोट प्रेस में करेंसी की प्रिंटिंग की जाती है।