यूपी में कांग्रेस अकेले लड़ेगी 2022 का विधानसभा चुनाव : ज्योतिरादित्य सिंधिया

लखनऊ : समाचार ऑनलाईन – लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी बनाए गए कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी को राज्य में मजबूत बनाने की बात कही है। सिंधिया शुक्रवार को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (यूपीसीसी) की साढ़े 6 घंटे चली मैराथन बैठक में शामिल थे। इसमें राज्य में पार्टी की हार की वजहों पर चर्चा हुई्। मीटिंग से बाहर निकलने के बाद सिंधिया ने कहा कि उम्मीदवारों और पार्टी नेताओं के सुझावों से यह सामने आया है कि हमें कांग्रेस के आधारभूत ढांचे को सुधारने के लिए जमीनी स्तर पर काफी मेहनत करनी है। इस बीच प्रियंका ने कहा है कि वे हफ्ते में दो दिन पूर्वी यूपी के कार्यकर्ताओं से मिलेंगी। प्रियंका मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार बन सकती हैं।
सिंधिया ने 2022 में होने वाले उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के किसी पार्टी के साथ गठबंधन की बात से इनकार किया। उन्होंने कहा कि पार्टी विधानसभा चुनाव अपने बलबूते लड़ेगी। साथ ही अगले दो हफ्ते में चुनाव की तैयारियां शुरू हो जाएंगी।

अगली समीक्षा बैठक में तय होंगे विधानसभा उपचुनाव प्रत्याशियों के नाम
सिंधिया ने बताया कि दो हफ्ते बाद फिर समीक्षा बैठक होगी। इसमें जमीनी स्तर के नेताओं से सलाह-मशविरे के बाद विधानसभा की 12 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम फाइनल किए जाएंगे। इससे पहले 12 जून को पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनाई गईं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के साथ रायबरेली में बैठक की थी।

पूर्वी यूपी के कार्यकर्ताओं से हफ्ते में दो दिन दिल्ली में मुलाकात करेंगी
उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने तय किया है कि वे पूर्वी यूपी के कार्यकर्ताओं से हफ्ते में दो दिन दिल्ली में मुलाकात करेंगी। प्रियंका के पास पूर्वी यूपी का प्रभार है। कार्यकर्ता मंगलवार और गुरुवार को सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच प्रियंका से मुलाकात कर सकेंगे। प्रियंका जमीनी कार्यकर्ताओं को पार्टी से जोड़ने के लिए जल्द ही प्रदेश दौरे पर जाएंगी।

कांग्रेस के सीनियर नेता और पश्चिमी यूपी के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया लखनऊ में पार्टी के खराब प्रदर्शन की समीक्षा करने पहुंचे। हार के कारणों पर चर्चा के लिए लाजिमी था कि वो नेता भी मीटिंग में मौजूद रहते जो चुनाव लड़ रहे थे। लेकिन इस मीटिंग से लगभग वो सभी कांग्रेसी गायब थे जिनसे फीडबैक सिंधिया को लेनी थी। जो नेता मीटिंग में मौजूद रहे, उन्होंने अपनी हार के लिए कमजोर संगठन, दल-बदलु नेताओं को तरजीह, नेताओं-कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को जिम्मेदार ठहराया। रिपोर्ट के मुताबिक कानपुर से चुनाव लड़ने वाले श्रीप्रकाश जायसवाल इस मीटिंग में मौजूद नहीं रहे। यही नहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और फर्रुखाबाद से कांग्रेस कैंडिडेट सलमान खुर्शीद भी लखनऊ पार्टी मुख्यालय नहीं पहुंचे और इस अहम मीटिंग से दूर रहे।