विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने  कांग्रेस ने भेजे 2 नेता, मणिपुर और गोवा की घटनाओं को लेकर है सावधान 

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : बिहार में मतदान समाप्त हो चुका है और अब इंतजार नतीजों का है। इसका खास इंतजार इसलिए भी है कि लंबे समय बाद भारत में ऐसा कोई चुनाव हुआ, जिसमें रोजी रोटी के सवाल मुद्दा बनते दिखे।  राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव को इस बात का श्रेय देना होगा कि उन्होंने राजनीतिक विमर्श को जातीय या सांप्रदायिक भावनाओं से निकाला। वे रोजगार के सवाल को चर्चा के केंद्र में ले आए। तेजस्वी यादव ने महागठबंधन के अन्य घटक दलों की मौजदूगी में ‘प्रण हमारा, संकल्प बदलाव का’ नाम से उन्होंने 25 सूत्री घोषणा पत्र जारी किया तो उस वक्त उन्होंने कहा था कि महागठबंधन की सरकार बनते ही कैबिनेट की पहली बैठक में पहली कलम से दस लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी जाएगी।

ये बात दीगर है कि दस लाख नौकरियां देने का वादा पूरा करना संभव है या नहीं। मगर ऐसे मुद्दों पर देश में चुनाव हो, इसकी याद भी एक या दो पीढ़ियों को नहीं है।  जनता का फैसला वोटिंग मशीनों में बंद हो गया है। एक्जिट पोल में तेजस्वी यादव की टीम को बढ़त दिखाई जा रही है, लेकिन सभी दल अपनी रणनीति को लेकर गंभीर हैं। इसी क्रम में कांग्रेस ने हार्स ट्रेडिंग को रोकने के लिए अपने दो नेताओं को जिम्मेदारी देकर बिहार भेजा है। रणदीप सिंह सुरजेवाला  और अविनाश पांडे  इस तरह के मामलों पर नजर रखेंगे और तुरंत फैसला लेंगे। दोनों नेताओं को त्रिशंकु विधान सभा या करीबी चुनाव परिणामों के मामले में त्वरित निर्णय लेने के लिए पटना में तैनात किया जाएगा।

सूत्रों ने कहा कि हालांकि, एग्जिट पोल ने महागठबंधन की जीत की भविष्यवाणी की है। बिहार विधान सभा में बहुमत के लिए 122 सीटें जरूरी हैं।  कांग्रेस इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। पार्टी सूत्रों ने कहा कि मणिपुर और गोवा में विधान सभा चुनावों के बाद कांग्रेस ने जिस स्थिति का सामना किया था, उसे लेकर वह सावधान है, जहां वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद सरकार नहीं बना सकी थी। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में हालिया घटनाओं, जिसमें कांग्रेस के विधायकों ने इस्तीफा दिया या पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बागी तेवर अपनाए, ने पार्टी को और सतर्क कर दिया है।