कांग्रेस की बैठक टली… नहीं तय हो पाया अध्यक्ष, 5 राज्यों में होने वाले चुनाव के बाद ही होगा फैसला    

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : शुक्रवार को होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की मीटिंग को मई तक टाल दिया गया है। कांग्रेस चाहे जो भी कारण दे मगर जानकार मानते हैं कि अगर इस वक्त राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बना दिया जाता तो पार्टी के लिए अच्छा नहीं होता। इसके पीछे कारण भी स्पष्ट है। उसे हाल में हुई बिहार की हार अभी भी कचोट रही है और कुछ महीनों बाद देश के पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। इसमें पं बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी है। इन राज्यों में चुनाव मई तक हो जाएंगे। पं बंगाल और असम में बीजेपी मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है।  इन पांच राज्यों में कांग्रेस का रिजल्ट खराब होता तो नए अध्यक्ष की छवि पर बट्टा लग जाता।

याद रहे कि  2019 लोकसभा चुनावों में पार्टी को करारी हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से तुरंत इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उनको बहुत रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने पार्टी की हार की जिम्मेदारी खुद पर लेते हुए अध्यक्ष पद से तुरंत इस्तीफा दे दिया। इसके बाद से ही पार्टी में अंतर्कलह शुरू हो गया।

एक और अहम बात यह है कि कांग्रेस पार्टी में भीतर ही भीतर एक शक्तिशाली लॉबी है, जो चाहती है कि सोनिया गांधी दिसंबर 2022 तक पार्टी के अध्यक्ष पद पर बनी रहें। दूसरी तरफ, पार्टी के ज्यादातर नेताओं की मांग है कि राहुल गांधी एक बार फिर पार्टी की कमान संभालें, मगर पार्टी कोई रिस्क भी नहीं लेना चाहती है। दरअसल, पार्टी के अंदर नेतृत्व के मुद्दे पर तीन विचार हैं, जो इस विशाल पुरानी पार्टी के भीतर उठ रहे हैं और हरेक के अपने अपने तर्क हैं।

जो लोग राहुल गांधी को दोबारा पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की वकालत करते हैं उनका कहना एकदम साफ है कि पार्टी और नेहरू-गांधी परिवार ने राहुल गांधी में साल 2004 से इतना भारी समय और ऊर्जा लगाई है। जबसे उन्होंने आधिकारिक रूप से कांग्रेस पार्टी जॉइन की थी, उनका कद पार्टी में लगातार बढ़ा और साल 2006 में वो पार्टी के महासचिव बन गए। साल 2013 में पार्टी के उपाध्यक्ष के तौर पर सामने आए और 87वें एआईसीसी प्रमुख के तौर पर पार्टी के सभी समूहों और इकाइयों से स्वीकृत हुए। अब अगर इसमें कुछ बदलाव किया जाता है या फिर से विचार किया जाता है तो राहुल गांधी के पास कोई रोल और पोजीशन नहीं रहेगी जो कि पहले से मौजूद राजनीतिक और श्रेणीबद्ध समीकरणों को बिगाड़ सकता है।

लिहाजा, कांग्रेस के अंदर घमासान की वजह से प्रतिष्ठा बताए रहने की सिर्फ तरकीब निकाली जा रही है। नेताओं को भी मालूम है कि अध्यक्ष चाहे जो भी हो, चलेगी सोनिया और राहुल की ही। इसलिए कांग्रेस पार्टी ये समय निकल जाने के बाद ही अपने नए अध्यक्ष के सिर पर वो अध्यक्षी का ताज पहनाने की सोच रही होगी।