कॉन्क्रीटीकरण के बारे में आचारसंहिता जरूरी

पुणे : समाचार ऑनलाईन  – छोटी-छोटी गलियों में सीमेंट कॉन्क्रीट के रोड बनाने की जिद से शहर का नुकसान हो रहा है। शहर के 40 प्रतिशत क्षेत्र में बड़ी बिल्डिंगें बनने तथा बारिश के पानी के गटरों की पानी लेकर जाने की सीमा को ध्यान में लेने से शहर में पानी जमा होने की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ रही है। इसलिए गर्मी के मौसम के साथ बारिश में भी कॉन्क्रीटीकरण के खतरे दिखाई दे रहे है। इस बारे में आचारसंहिता तैयार करने की स्वयंसेवी संस्था व भूजल विशेषज्ञों की मांग मनपा प्रशासन ने गंभीरता से लेने की जरूरत फिर से स्पष्ट हो गई है।

शहर में जोरदार बारिश के बाद 50 से अधिक स्थानों पर पानी जमा होने से नागरिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बारिश का पानी जमीन में अधोरिसाव होने की कोई भी सुविधा नहीं है। दूसरी ओर शहर में पानी बहकर लेकर जाने वाली सिस्टम पर बोझ आने से पानी जमा होने के मामले बढ़ गए है। इस बारे में सजग नागरिक मंच के विवेक वेलणकर ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कॉन्क्रीटीकरण के कारण पानी का जमीन में अधोरिसाव होने जगह नहीं बची। इसलिए बारिश में पानी सड़क पर जमा होता है और गर्मी में तपमान में वृद्धि होती है। भूजल में पानी जमा होने का क्षेत्र कम हो रहा है। पेड़ों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। फिर भी नगरसेवक व मनपा प्रशासन सड़कों को कॉन्क्रीटीकरण करने की अपनी जिद नहीं छोड़ रहे है।

गलियों में होने वाले कॉन्क्रीटीकरण पर नियंंत्रण रखने, पुराने नालों और छोटे बांधों को फिर से जीवित करने और रेन वॉटर हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट पर अमल कर जमीन में पानी का स्तर बढ़ाना जरूरी है। विभिन्न उपायों को मनपा प्रशासन ने गंभीरता से लेने पर बारिश का पानी जमीन में अधोरिसाव होने में मदद मिलेगी, यह आशा विशेषज्ञ व्यक्त कर रहे है।