वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल रोका, एंटीबॉडी में दिखे एचआईवी का लक्षण 

मेलबर्न. ऑनलाइन टीम : पूर दुनिया को अपनी मकड़जाल में घेरे कोरोना का ‘चरित्र’ समझ से बाहर होता जा रहा है। एक तरफ उसके प्रभाव को रोकने की कोशिश में सफलता की किरण दिखती है, तो दूसरी तरफ उसकी मारक क्षणता और तेज हो जाती है। अब ताजा मामला और भी हैरतअंगेज हैं। ऑस्ट्रेलिया में  एक टीके का क्लीनिकल ट्रायल आरंभिक चरण में ही बंद कर देना पड़ा, क्योंकि परीक्षण के प्राथमिक चरण में टीका लेने पर शरीर में एचआईवी के लिए एंटी बॉडी का निर्माण हो रहा था। पता चला कि कुछ मरीजों में एंटीबॉडी का निर्माण हुआ, जो एचआईवी के प्रोटीन से मिलता जुलता था। जुलाई से ही इस टीका का क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा था।

इस खबर के बाद पूरी दुनिया में शोध लगे वैज्ञानिकों को भी धक्का पहुंचा है। वह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर अब इस परीक्षण का अंत क्या होगा। अन्य लोगों पर परीक्षण के लिए फिर से सूची बनाई जा रही है। इस बार पहले से ही एंटीबॉडी का परीक्षण किया जाएगा।

ऑस्ट्रेलिया की सरकार से विचार-विमर्श करने के बाद क्वींसलैंड विश्वविद्यालय-सीएसएल ने टीका के क्लिनिकल ट्रायल के दूसरे और तीसरे चरण का काम रोक देने का फैसला किया।  ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग के विशेषज्ञ और मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर संजय सेनानायके ने कहा कि यह खबर निराशाजनक है, लेकिन टीका के असफल होने को लेकर कोई हैरानी की बात नहीं है। उन्होंने कहा, आम तौर पर करीब 90 प्रतिशत टीके कभी बाजार तक नहीं पहुंच पाते।
सीएसएल ने कहा कि अगर राष्ट्रीय स्तर पर टीका का इस्तेमाल होता तो समुदाय के बीच एचआईवी संक्रमण के त्रुटिपूर्ण परिणाम के कारण ऑस्ट्रेलिया के लोकस्वास्थ्य पर इसका गंभीर असर पड़ता।