CJI ने अयोध्या विवाद मामलों को 18 अक्टूबर तक सुलझाने का लक्ष्य रखा

नई दिल्ली: समाचार ऑनलाइन- लगता है अयोध्या भूमि विवाद मामला जल्द ही सुलझ सकता है, क्योंकि भारत के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अधोय्या मामले से जुड़े विवादों पर अंतिम निर्णय लेने की समयसीमा 18 अक्टूबर तय की है. उन्होंने बुधवार को अपना यह फैसला सुनाया है, साथ ही मामले से जुड़े दोनों पक्षों को संयुक्त प्रयास करने का आग्रह भी किया है.

बता दें कि CJI गोगोई दो महीने बाद रिटायर होने वाले हैं. इसे ध्यान में रखते हुए  गोगोई ने कहा कि, अदालत मामले से जुड़ी बहस को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए शनिवार को बैठकर अतिरिक्त घंटे काम कर सकती है.

इस पर मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वह 28 सितंबर तक अपनी दलीलें पूरी कर सकता है, जबकि राम लल्ला विराजमान की परिषद ने कहा कि, वह दो दिनों में अपने तर्कों के साथ जवाब पेश कर सकते हैं. इसके बाद सभी शेष सबमिशन पर निष्कर्ष निकालने में लगभग तीन अतिरिक्त दिन लग सकते हैं.

हालाँकि इस पर अदालत ने कहा कि कार्यवाही अभी भी गोपनीय ही रहेगी.

बता दें कि सर्वोच्च अदालत द्वारा राजनीतिक रूप से संवेदनशील माने जाने वाले राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में 6 अगस्त से दिन-प्रतिदिन की सुनवाई का आदेश दिया गया था; लेकिन विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की कार्यवाही लगभग विफल हो गई.

बता दें कि इस मामले के मध्यस्थता पैनल में आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ़ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता और मीडिएटर श्रीराम पंचू शामिल थे. कोर्ट द्वारा इन्हें 15 अगस्त तक का समय दिया था.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा मार्च में मध्यस्थों के पैनल को कैमरे के सामने कार्यवाही करने को कहा गया. साथ ही कहा कि यह मध्यस्थता प्रक्रिया 8 सप्ताह के भीतर पूरी हो जाना चाहिए.

गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के चार सिविल सूट को लेकर साल 2010 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दायर की गई हैं. इस फैसले में बताया कहा गया था कि अयोध्या की  2.77 एकड़ भूमि को तीनों पक्षों के बीच समान रूप से विभाजित किया जाएगा. इन तीन पक्षों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लल्ला शामिल हैं.

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