आख़िरकार कानून बन गया नागरिकता संशोधन विधेयक, राष्ट्रपति की मंजूरी मिली

नई दिल्ली, 13 दिसंबर – तमाम विरोध, बयान और अटकलों के बाद आखिरकार बुधवार की रात नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 में राज्यसभा से पारित हो गया. इसके अगले ही दिन गुरुवार की रात राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने  के बाद ये विधेयक कानून की शक्ल में सामने आ गया है. इससे पहले राज्यसभा में यह बिल 105 के मुकाबले 125 वोट से जीत दर्ज करने में कामयाब रहा.

इस बिल के कानून में तब्दील होते है देश के अलग अलग भागों में अवैध तरीके से रहने वाले लोगों के लिए अपने निवास का कोई डाक्यूमेंट्स नहीं होने के बावजूद नागरिकता हाशिल करना आसान होगा। लेकिन 31 दिसंबर 2014 के पहले या इस तारीख तक भारत में प्रवेश कर चुके लोग आवेदन करने के योग्य होंगे।
कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन 
इस विधेयक को लेकर देश के कुछ हिस्सों में भारी विरोध प्रदर्शन हो  रहा हैं. आसाम में विरोध प्रदर्शन के दौरान आगजनी और तोड़फोड़ की गई.
नार्थ ईस्ट में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. असम, मेघालय और त्रिपुरा में हिंसक प्रदर्शन हो रहा है. मेघायल में मोबाइल इंटरनेट और मैसेजिंग सेवा पर रोक लगा दी गई है. मेघालय में 48 घंटों के लिए मोबाइल, इंटरनेट और मैसेजिंग सेवा बंद की गई है.
देश में आये अल्पसंख्यकों को मिलेगी सुविधा : शाह 
इस बिल पर बोलते हुए अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि सदन के सामने एक ऐतिहासिक बिल लेकर आया हूं।  इस बिल से लाखों-करोड़ों लोगों को फायदा होगा। जो अल्पसंख्यक धार्मिक प्रताड़ना के तहत भारत आये है उन्हें यहां पर सुविधा नहीं मिली। पाकिस्तान में पहले 20% अल्पसंख्यक थे अब 3% बचे है. बिल से हिन्दू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को रियायत मिलेगी। उन्होंने साफ किया कि बिल मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने  वाला नहीं है.
उठ रहे सवाल 
इस विधेयक को लेकर सवाल उठाये जा रहे है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार ) का उल्लंघन करता है. पूर्व लोकसभा सेक्रेटरी और कानून के जानकर पीडीटी आचार्य ने इस बिल पर सवाल खड़े किये है.