Chitra Wagh | रक्षकों को भकक्ष बनाने वाली पॉलिसी स्‍वीकार करेंगे क्‍या ?, चित्रा वाघ ने गृहमंत्री को लिखा पत्र

मुंबई : भाजपा की महिला नेता चित्रा वाघ (Chitra Wagh) ने गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल (दिलीप वलसे पाटिल ) को पत्र लिखकर अहमदनगर जिले के पी‍ड़ि‍त पारधी परिवार की व्‍यथा सुनाई है. दिवंगत आदिवासी सुमन काले (Suman Kale) की मौत मामले में सरकार के उदासीन होने का आरोप वाघ (Chitra Wagh) ने लगाया है. साथ ही कहा है कि राज्‍य सरकार हाईकोर्ट (High Cour) के आदेशों का पालन नहीं कर रही है और पी‍ड़ि‍त परिवार को न्‍याय नहीं मिल रहा है.

 

पुलिस कस्‍टडी (police custody) में मारे गए पारधी समाज की सामाजिक कार्यकर्ता सुमन काले के मामले को लेकर राज्‍य सरकार उदासीन है. वह टाइम पास कर रही है. पिछले 14 सालों से न्‍याय के लिए उनकी लड़ाई जारी है. आखिर में 13 जनवरी 2021 में हाईकोर्ट ने इस मामले को छह महीने में खत्‍म करने और पीड़ि‍त परिवार को 5 लाख रुपए का मुआवजा 45 दिनों में देने का आदेश दिया था. लेकिन सरकार ने न तो केस को आगे बढ़ाया और न ही नुकसान भरपाई दी. यह बेहद गंभीर बात है. इससे सरकार की मंशा को लेकर संदेह पैदा हो रहा है. सुमन काले को न्‍याय मिलने से स्‍थापित व्‍यवस्‍था के हित संबंधों में बाधा पहुंचेगी क्‍या ? यह सवाल अब सामाजिक गलियारे से उठने लगी है. इसका जिक्र वाघ (Chitra Wagh) ने अपने पत्र में किया है.

 

वर्षभर में पुलिस कस्‍टडी में 23 लोगों की मौत

 

सुमन काले (Suman Kale) अपराधियों के पुनर्वसन के लिए काम करती थी. अपनी जाति पर लगे कलंक को धोने के लिए वह अपना जीवन खपा रही थी. कई पुलिस अधिकारियों ने उनके बेहतर काम के लिए उन्‍हें सम्‍मानित किया था. लेकिन डकैती के मामले में पूछताछ के लिए अहमदनगर पुलिस गैरकानूनी रूप से उन्‍हें  उठाकर ले गई और पुलिस कस्‍टडी में उनकी मौत (Death) हो गई. उनका काम किसके लिए सिरदर्द साबित हो रहा था ? इस मामले में कई अच्‍छे पुलिस अधिकारियों ने काफी अच्‍छा काम किया है और इस लड़ाई को एक आयाम दिया. लेकिन आपकी सरकार आई और हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी कोई कदम नहीं उठाए गए. हमें इस बात का ध्‍यान रखना चाहिए कि महाराष्‍ट्रवादी प्रगतिवादी राज्‍य है. पिछले एक वर्ष में राज्‍य में पुलिस कस्‍टडी में 23 लोगों की मौत हुई हैं. आपके कार्यकाल में महाराष्‍ट्र क्रूरता की श्रेणी में पहले नंबर पर आ गया है.

 

स्‍थापित व्‍यवस्‍था द्वारा अन्‍याय किया जाए तो समाज के सबसे आखिरी वर्ग को पुलिस (Police) पर भरोसा होता है. लेकिन रक्षक ही भकक्ष बन गई. अपराधियों का नैतिक बल बढ़ाने वाली पॉलिसी को राज्‍य सरकार स्‍वीकार करेगी क्‍या ? उन्‍होंने गृहमंत्री से इस पर चिंतन करने की उम्‍मीद जताई है.

 

 

 

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