चंद्रयान-2 पर चीनी पत्रकार ने उठाए सवाल, बोले ‘भारत ने कर दी ये गलती’

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – चंद्रयान 2 भले ही चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग न कर पाया हो लेकिन चांद के साउथ पोल के करीब पहुंचे की हिम्मत भारत ने ही सबसे पहले दिखाई। इस कोशिश पर पूरी दुनिया भारत के वज्ञानिकों को सलाम कर रही है। दुनिया के सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी नासा ने भी यह बात मानी है। नासा ने खुद कहा है कि भारत के चांद के साउथ पोल पर उतरने की कोशिश को हम सलाम करते है। लेकिन इसी बीच एक चीनी पत्रकार ने इस बारे में ट्वीट करके सवाल उठाया है।

चीनी पत्रकार ने ये सवाल उठाया है कि इसरो ने केवल 14 दिनों के लिए ही लैंडर विक्रम को चांद पर भेजा था, क्योंकि उन्होंने उसमें वो थर्मल उपकरण नहीं लगाया था, जो इस लैंडर को चांद पर रात होने की सूरत में ठंड से बचाता और गर्म रखता। दरअसल चांद पर रातें बहुत ठंडी होती हैं। तापमान माइनस 200 डिग्री से नीचे चला जाता है, ऐसे में लैंडर विक्रम के सही सलामत रहने की संभावनाएं एकदम ही खत्म हो जाएंगी। इसके अलावा अगले 14 दिनों में ठंडे कहे जाने वाले चांद के साउथ पोल में चंद्रमा पर बर्फ की ऐसी परत जम सकती है कि फिर ये किसी आर्बिटर को शायद ही नजर आए। तब ना तो इसरो का चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगता हमारा आर्बिटर तलाश पाएगा और ना ही नासा का आर्बिटर।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में प्रकाशित ते यांग पार्क, जांग जून ली और ह्यून ओंग ओ ने इस बारे में एक लेख लिखा है, जिसका शीर्षक है, प्रारंभिक थर्मल डिजाइन और रात में चांद पर लैंडर के बचाव का विश्लेषण। इसमें कहा गया है कि चांद एक दिन पृथ्वी के करीब एक माह के बराबर होता है। इसमें 14 दिनों का दिन और लगातार 14 दिनों की रात होती है।  ये रातें बेहद ठंडी होती हैं। लिहाजा ऐसे में जब चांद पर कोई लैंडर भेजा जाता है तो उसमें उपयुक्त तरीके से थर्मल डिजाइन करना एक अहम टास्क ही नहीं होता है बल्कि ये ही वो पहलू है, जिसके पुख्ता तरीके से काम करने के लिए लैंडर इतनी ठंड में बचा रहता है।

दरअसल ये थर्मल डिजाइन कई तरह के थर्मल हार्डवेय़र को मिलाकर बनाया जाता है। माना जा रहा है कि भारतीय चंद्रयान में इस तरह का डिजाइन नहीं है, यानि उसमें उसे गर्म करने वाले सिस्टम की व्यवस्था अलग से नहीं है। चीनी पत्रकार एंड्यू जोंस, जो चीन के स्पेस प्रोग्राम को कवर करते हैं, ने 17 सितंबर को एक ट्वीट किया। जिसमें उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम जहां लैंड किया वहां सूर्य अस्त हो रहा है। चूंकि विक्रम रेडियोस्टोप हीटर यूनिट से लैस नहीं है, लिहाजा माइनस 180 डिग्री  सेल्शियस की ठंड में उससे संपर्क होने की रही सही उम्मीदें भी खत्म हो जाएंगी।