चीन, भारत ई-वाहनों के संयुक्त उद्यम के लिए उत्सुक

बीजिंग (आईएएनएस) : समाचार ऑनलाईन – विश्व के दो बड़े ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक चीन और भारत बिजली वाहनों के निर्माण में संयुक्त उद्यम के लिए उत्सुक हैं। दोनों देशों ने बीजिंग में आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन में इसके लिए वार्ता की। मारुति सुजुकी, टाटा, टीवीएस जैसे भारत के दिग्गज ऑटोमेकर और उद्योग संघों ने बीजिंग में 5वें चीनईवी100 फोरम में भागीदारी की, जहां दुनियाभर की ई-वाहन निर्माता कंपनियां मौजूद थीं।

रविवार को समाप्त हुए तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन चीन ईवी100 ने किया था, जो कि चीनी इलेक्ट्रिक मोबिलिटी उद्योग की 200 से ज्यादा दिग्गज कंपनियों का एक निजी बिजली वाहन संघ है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष नीति आयोग के प्रधान सलाहकार अनिल श्रीवास्तव ने चीनईवी100 के अध्यक्ष चेन किंगताई से मुलाकात की।

मैकिन्से के मुताबिक, चीन बिजली वाहनों की मांग और आपूर्ति दोनों में एक दिग्गज के रूप में उभरा है। हालांकि कुछ चीनी कंपनियों का मानना है कि भारत इन वाहनों की मांग के संदर्भ में चीन को पछाड़ देगा। इससे पहले आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में चीन की प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी सुनरा के महाप्रबंधक विक्टर लु ने कहा कि वे भारत को इलेक्ट्रिक बाइक के लिए विश्व के सबसे बड़े बाजार के रूप में उभरते हुए देखते हैं।

फोरम को संबोधित करते हुए श्रीवास्तव ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, इसकी वर्तमान स्थिति और भविष्य के रोडमैप के लिए भारत की नीति के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक पर्यावरण प्रतिबद्धताओं के लिए प्रतिबद्ध है और वह स्वच्छ ऊर्जा व नई ऊर्जा परिवहन के विकास व उसे अपनाने को प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत द्वारा 2030 तक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में चीनी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियां महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं।

उन्होंने उल्लेख किया कि दोनों देशों के ईवी उद्योगों के बीच अधिक बातचीत होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने दोनों देशों के बीच एक औपचारिक बातचीत तंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने बीजिंग में इस साल की पहली छमाही में दोनों पक्षों के बीच एक बैठक करने का भी प्रस्ताव रखा, ताकि सहयोग की संभावनाओं को तलाशा जा सके श्रीवास्तव के साथ बैठक के बाद चेन ने कहा कि चीनी बिजली वाहन कंपनियों के लिए भारत एक महत्वपूर्ण देश है और उन्होंने भारतीय बाजार में चीनी उद्योगों को भागीदारी और निवेश के लिए प्रोत्साहित किया।