चुनावी घमासान के बीच कैट की चेतावनी, व्यापारी करेंगे 5 मार्च से 5 अप्रैल तक राष्ट्रव्यापी आंदोलन     

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (CAIT) ने  जीएसटी (GST) एवं ई कॉमर्स (e-commerce) के मुद्दों पर आगामी 5 मार्च से 5 अप्रैल तक राष्ट्रव्यापी आंदोलन की घोषणा की है। कैट का आरोप है कि राज्य सरकारों ने अपने हित में  जीएसटी के बेहद साधारण कानून एवं नियमों को विकृत कर रखा है। यहां ध्यान रहे कि अगले कुछ महीनों में 5 राज्यों में चुनाव हो रहे हैं और सभी राज्यों में व्यापारियों का बड़ा वोट बैंक है। इन्हें नाराज करने का खामियाजा दलों को उठाना पड़ सकता है। इसलिए कैट का यह निर्णय सभी दलों के लिए राजनीतिक रूप से नुकसानदायक हो सकता है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने वीडियो कॉन्फ़्रेन्स के जरिये देश के सभी राज्यों एवं संघशासित प्रदेशों के 275 से ज़्यादा प्रमुख नेताओं के साथ इन मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान जीएसटी (GST) के प्रावधानों और ई कॉमर्स में विदेशी कंपनियों की लगातार मनमानी का मुद्दा उठा। कैट ने कहा है कि यह दोनों मुद्दे देश के 8 करोड़ व्यापारियों से सीधे रूप से सम्बन्ध रखते हैं और जब तक इन दोनों मुद्दों का तार्किक समाधान नहीं हो जाता तब तक देश भर में व्यापारियों का यह आंदोलन जारी रहेगा।

5 मार्च से 5 अप्रैल तक देश भर के व्यापारिक संगठन ‘आंदोलन मास’ के रूप में मनाएंगे। योजना अनुसार, देश के 40 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठन जीएसटी एवं ई कॉमर्स के मुद्दे पर सभी राज्यों के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, वित्तमंत्री, प्रधान सचिव (वित्त), जीएसटी आयुक्त तथा मुख्यमंत्री के नाम से ज्ञापन सभी जिलों के कलेक्टरों को देंगे। इसके साथ ही सभी राष्ट्रीय दलों और राज्यस्तरीय दलों के अध्यक्ष को भी अपना ज्ञापन देंगे।

कैट ने आरोप लगाया है कि जीएसटी नियमों में संशोधन करते समय, “न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन” के पीएम मोदी के मिशन वक्तव्य का उल्लंघन अधिकारियों को मनमाने ढंग से और अनफ़िल्टर्ड शक्तियाँ देकर इस हद तक किया गया है कि बिना सुनवाई व्यापारियों को शो कॉज नोटिस जारी करने और उन पर करवाई करने का अधिकार दिया गया है। वर्तमान जीएसटी मेंएक छोटी सी त्रुटि के लिए भी विभिन्न एवं भारी दंड तय कर देश में ‘कर आतंकवाद पनपाया जा रहा है। भले ही जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी नियमों में कई सौ बार संशोधन किया है, लेकिन जीएसटी रिटर्न को संशोधित करने के लिए एक भी अवसर व्यापारियों को नहीं दिया गया है। “त्रुटि” और “चोरी” के बीच अंतर को परिभाषित करना बेहद आवश्यक है।

कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण  से भी आग्रह किया है कि जीएसटी काउंसिल होने के नाते वे इस पर गंभीर रुख अपनाएं।  याहां ध्यान देने वाली बात है कि कैट ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल के प्रयासों की सराहना की है।