अवैध रूप से 24 करोड़ रुपए का कर्ज मंजूरी का मामला

सेवा विकास बैंक के चेयरमैन अमर मूलचंदानी समेत 24 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज
माहभर में धोखाधड़ी का दूसरा मामला दर्ज
पिंपरी। डेवलपमेंट के लिए लेकर वहां बनाये जानेवाली बिल्डिंग का कुछ हिस्सा जमीन मालिक को देने की बात तय होने के बाद वह हिस्सा दूसरे व्यक्ति को बेच दिया गया। उस पर पिंपरी चिंचवड़ की अग्रणी सेवा विकास बैंक द्वारा अवैध रूप से 24 करोड़ रुपए का कर्ज मंजूर किया गया। इस बारे में जमीन मालिक की शिकायत के आधार पर पिंपरी पुलिस ने बैंक के चेयरमैन अमर मूलचंदानी समेत 24 आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। सेवा विकास बैंक के चेयरमैन और निदेशकों के खिलाफ माहभर में दर्ज किया गया यह दूसरा धोखाधड़ी का मामला है। 20 नवंबर को हिंजवड़ी पुलिस ने मूलचंदानी समेत 20 आरोपियों के खिलाफ डेढ़ करोड़ रुपए के कर्ज के फर्जीवाड़े को लेकर मामला दर्ज किया है। इसमें बैंक के कुछ अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया जबकि मूलचंदानी समेत अन्य निदेशक फरार चल रहे हैं।
पिंपरी पुलिस द्वारा मामला दर्ज किए गए आरोपियों में गैलेक्सी कन्स्ट्रक्शन एंड कॉन्ट्रॅक्टर प्रा लि के निदेशक अमित अशोक थोपडे, अशोक शिवनारायण थेपडे, दीपक अमृतलाल गुगले (तीनों निवासी भोसले नगर, पुणे), कुलमुखत्यार धारक लक्ष्मण ज्ञानोबा गुजर, दि सेवा विकास को ऑप बैंक के चैयरमैन अमर मुलचंदानी, निदेशक अशोक मूलचंदानी, मनोहर मूलचंदानी, दया मूलचंदानी, दीपा मंगतानी, राजेश सावंत, चन्द्रशेखर अहिरराव, पंकज मसंद, नरेंद्र ब्राम्हणकर, धीरज भोजवानी, अमरजीतसिंग बासी, निखिल शर्मा, राजू तनवानी, रेखा कुकरेजा, नीलम सोनवानी, हेमा खटवानी, महेश रोहरा, प्रकाश पमनानी व अन्य एक का समावेश है। इस बारे में शिवाजीराव विठ्ठलराव सस्ते (69, निवासी औंध बाणेर शिव, पुणे) ने शिकायत दर्ज कराई है।
पिंपरी पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, शिवाजीराव सस्ते की पाषाण में 350 वर्ग मीटर जमीन गैलेक्सी कन्स्ट्रक्शन एंड कॉन्ट्रॅक्टर प्रा लि के निदेशक अमित थेपडे, अशोक थेपडे, दीपक गूगले को डेवलपमेंट के लिए करारनामा कर दी गई थी। यहां बनने वाली बिल्डिंग की पहली और दूसरी मंजिल पर कुल 6500 वर्ग फीट क्षेत्र का निर्माण सस्ते को देना तय किया गया था। करारनामा की शर्तों के अनुसार समय पर निर्माण कार्य पूरा नहीं किया गया। पुणे मनपा से कम्प्लीशन सर्टिफिकेट भी नहीं लिया। इसके बाद निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए मियाद बढाई गई। इसके बाद भी यहां का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया गया। इसके चलते सस्ते को बढ़ाकर एफएसएसआई देने का करारनामा किया गया। इसके बाद गैलक्सी कंस्ट्रक्शन के निदेशकों ने मिलीभगत कर सस्ते को दिए जाने हिस्से पर सेवा विकास बैंक से 24 करोड़ रुपए का कर्ज लिया।
बैंक ने भी कर्ज मंजूर कर दिया। 24 करोड़ के कर्ज में से 12 करोड़ रुपए गैलेक्सी कंस्ट्रक्शन कंपनी को बिल्डिंग की पहली, दूसरी और तीसरी मंजिल एवं 12 करोड़ रुणेक्स इंटरनेशनल कंपनी को तलमंजिल और अन्य क्षेत्र पर दिया गया। इसमें सस्ते को दिए जानेवाले पहली और दूसरी मंजिल के क्षेत्र का गिरवीखत तैयार किया गया। इसके आधार पर बैंक से कर्ज लिया गया। तीसरी मंजिल अवैध रूप से बनाई गई है इसके गिरवीखत पर भी सेवा विकास बैंक ने कर्ज दिया है। करारनामा की शर्तों के अनुसार पहली मंजिल पर का ऑफिस मैक्स टेक्नोलॉजी के पार्टनर नीलेश प्रवीण जैन और प्रदीप अमृतलाल जैन को बेच कर सस्ते के साथ धोखाधड़ी की गई है। इसमें सेवा विकास बैंक के चेयरमैन, निदेशक मंडल और स्टाफ की मिलीभगत रहने का आरोप भी सस्ते ने अपनी शिकायत में लगाया है।