फर्जी जमानत दिलानेवाले गिरोह का पर्दाफाश

24 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज; 13 गिरफ्तार
पुणे। फर्जी जमानत दिलानेवाले रैकेट को उजागर करते हुए पुणे पुलिस ने एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और कई मामलों में इन्होंने आरोपियों को फर्जी जमानत दिलवाई है। पुणे के पुलिस आयुक्त अमिताभ गुप्ता के निर्देशन में हुए इस ऑपरेशन में 6 महिलाओं समेत 24 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया, यह एक बहुत बड़ा रैकेट है, जिसका पर्दाफाश कर लिया है। इस पर लंबे समय से काम जारी था। इस बारे में शिवाजीनगर पुलिस थाने में चार अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं।
एक मामले में निलेशकुमार नंदकुमार शहाणे (27, निवासीदत्तवाडी, पुणे), महारुद्र मोहन मंदरे (26, निवासी माणिकबाग, पुणे), असिफ ताहीर शेख (27, निवासी कात्रज, पुणे), मोहसीन बाबू सय्यद (48, निवासी निगडी, पुणे), रशीद अब्दुल सय्यद (49, निवासी शांतिनगर, पुणे), अमीर नूरमहम्मद मुलाणी (44, निवासी चिंचवड, पुणे) को गिरफ्तार किया गया है। जबकि दूसरे मामले में नागेश माणिक बनसोडे (39, निवासी पिंपरी, पुणे) को गिरफ्तार किया गया है। अन्य एक मामले में नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इसमें कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। कोंढवा में भावेश विजय शिंदे (33), विक्की विद्यासागर पुडगे (28), कल्पेश सीताराम इंगोले (18), सोनू अशोक जगधने (29), शशांक प्रकाश सालवी (31), शुभम ज्ञानोबा लांडगे (18) को गिरफ्तार किया गया है।
शुरुआती जांच के अनुसार गिरोह के लोग विभिन्न अदालतों से आरोपियों और विचाराधीन कैदियों को 25 हजार रुपये में जमानत पाने में मदद करते थे। गिरोह के लोग ज्यादातर जिला न्यायालय या न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी न्यायालयों में अपने काम को अंजाम देते थे, जहां थोक में जमानत याचिकाएं दायर होती हैं। 15 दिन पहले इस गिरोह के बारे में मुखबिर से जानकारी मिली और फिर पुणे पुलिस कार्रवाई में जुट गई। पुलिस आयुक्त गुप्ता ने कहा कि कई जाल बिछाने के बाद पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफल रही। बाद में अदालत ने उन्हें 26 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। ये लोग आरोपियों- विचाराधीन कैदियों की जमानत करवाने के लिए 12 हजार रुपये से 20 हजार रुपये लेते थे। वे जमानत दिलाने के लिए अदालतों को फर्जी दस्तावेज भी उपलब्ध कराते थे। उन्होंने आधार कार्ड, पैन, राशन कार्ड, संपत्ति दस्तावेज, घर का बिल, फोटोग्राफ आदि के कई फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराए, ताकि वे आरोपी-अपराधियों को जमानत दिला सकें। पिछले साल अक्टूबर में भी ऐसे 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।