ट्राई के बनाए गए नए नियमों का विरोध कर रही हैं ब्रॉडकास्टिंग कंपनियां, बताया हस्तक्षेप

समाचार ऑनलाइन- क्या कंपनियों को थोक में या अलग से चैनल बेचना चाहिए?   क्या डीटीएच कंपनियों को अलग पैकेज बनाना चाहिए?  ट्राई का ज्यादातर समय इन चीजों को तय करने में ही चला जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उपभोक्ताओं को लाभ मिल पा रहा है या नहीं?  लेकिन इसका जवाब अनुत्तरित है. यहाँ, वास्तविक जरूरत मौजूदा नियमों के ढांचे को मजबूत करने की है.

ट्राई ने दी अपने मनमुताबिक चैनल चुनने सुविधा

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने ऐसे नियमों को अपनाया है जो टीवी दर्शकों को अपने पसंदीदा चैनल चुनने की स्वतंत्रता देते हैं, जिससे डीटूएच वालों की थोड़ी राहत मिली है. वहीं  केबल टीवी उपभोक्ताओं को मनोरंजन के लिए अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है. केबल टीवी ग्राहकों की अत्यधिक संख्या  झुग्गी-झोपड़ी, मध्यमवर्गीय परिवार और ग्रामीण क्षेत्रों में है. इसलिए ट्राई की नई नियमावली का इन्हें कोई खास फायदा नहीं पहुंचा है. ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया है कि यह नियमावली फायदे की है भी या नही?

जारी किया ‘परामर्श पत्र’

इसलिए अब ट्राई ने इसमें बदलाव लाने के लिए ‘परामर्श पत्र’ या ‘कन्सल्टेशन पेपर’  जारी किया है. इसके जरिए दस दिन पहले, ट्रॉय ने सभी वेबकास्टिंग कंपनियों, केबल ऑपरेटरों, डीटीएच कंपनियों के साथ-साथ अपने वेब पोर्टल से केबल और प्रसारण शुल्क के बारे में ग्राहकों से आपत्ति और सुझाव मांगे थे. इन निर्देशों का मुख्य उद्देश्य उन नियमों को संशोधित करना है, जो फरवरी से केबल टीवी प्रसारण के लिए लागू किए गए थे. इस मुद्दे का मुख्य बिंदु चैनल ब्रॉडकास्टिंग कंपनियों, डीटीएच और केबल आपूर्तिकर्ताओं द्वारा स्थापित चैनल ‘बुक’ है. ट्रॉय का सवाल है कि क्या उपभोक्ताओं को वास्तव में ऐसी पुस्तक की आवश्यकता है.

ब्रॉडकास्टिंग कंपनियां ट्राई के हस्तक्षेप का कर रही हैं विरोध

ग्राहकों को सहूलियत देने के लिए ट्राई द्वारा उठाए गए कदमों को ब्रॉडकास्टिंग कंपनियां हस्तक्षेप बताकर विरोध दर्ज कर रही हैं. उनके अनुसार ट्रॉय इस क्षेत्र में जितना चाहें उतना हस्तक्षेप कर रही है. एक प्राधिकरण के रूप में, ट्रॉय की जिम्मेदारी दूरसंचार क्षेत्र में सभी के हितों की देखभाल करना है ट्राई  ने केबल और प्रसारण के लिए एक ढांचा विकसित किया है. कंपनियों के प्रतिनिधियों का कहना है कि किसी को भी बनाए गए नियमों के बाहर नहीं जाना चाहिए और यह देखने की कोशिश करनी चाहिए कि क्या वे कर सकते हैं?

दोनों में से कौन गलत है? ये ग्राहक अच्छे से समझ सकते हाँ. हालाँकि ट्रॉय की भूमिका ग्राहकों को सुविधा देने की है, लेकिन  कंपनियों ने अपने व्यावसायिक हितों की देखभाल करने के लिए ट्राई की नीतियों को खारिज कर रही है.

दोबारा नियमों में बदलाव कस्टमर को कर सकते हैं हैरान

अब ट्रॉय की जिम्मेदारी यह देखना है कि कंपनियां अपने कस्टमर्स के साथ कुछ भी मनमाना न करें.  हालांकि, ट्रॉय नियमों को केवल छह महीने के लिए लागू किया गया है. कई उपभोक्ता अब इन नियमों को समझने लगे हैं. साथ ही अपनी अपनी सुविधानुसार चैनल चुनने लगे हैं. इसलिए अब दोबारा नियमों में बदलाव लाना ग्राहकों के लिए उलझनभरा हो सकता है.