भाजपा की ‘दादा’गिरी, आयुक्त की निष्क्रियता और विपक्ष की विवशता

पिंपरी। संवाददाता – संपूर्ण से भी ज्यादा बहुमत हासिल रहने के बाद भी अब तक 50 बार सर्वसाधारण सभा स्थगित रखनेवाले पिंपरी चिंचवड़ मनपा के सत्तादल भाजपा ने बुधवार को मात्र 10 मिनट में दो सभाओं का कामकाज निपटाने का रिकॉर्ड बनाया है। बिना पढ़े ही उपसुझावों की वर्षा करते वक्त सभा में कोरम पूरा है या नहीं? यह देखने की भी जरूरत नहीं समझी। मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर की निष्क्रियता के चलते शहर में पानी की किल्लत बनी हुई है और उसे छिपाने के लिए सर्दी के मौसम में ही पानी कटौती लादी जा रही है। इस प्रकार की टिप्पणी करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस, शिवसेना, मनसे आदि विपक्षी दलों के नगरसेवकों ने एक दिन छोड़कर जलापूर्ति करने के फैसले का पुरजोर विरोध जताया। मगर सत्तादल की ‘दादा’गिरी के आगे उनका विरोध टिक न सका और दो माह के लिए शहरवासियों पर पानी की कटौती लादने का फैसला किया गया।
महापौर राहुल जाधव की अध्यक्षता में उनके कार्यकाल की आखिरी सर्वसाधारण सभा बुधवार को संपन्न हुई। दोपहर डेढ़ बजे से इसका कामकाज शुरू किया गया। आज अक्टूबर माह की स्थगित और जारी नवंबर माह की नियमित सर्वसाधारण सभा का कामकाज पूरा किया। राष्ट्रवादी कांग्रेस के वरिष्ठ नगरसेवक दत्ता साने ने एक दिन छोड़कर जलापूर्ति करने की घोषणा का मुद्दा उठाते हुए मनपा आयुक्त श्रवण हार्डिकर और सत्तादल पर निशाना साधा। सभागृह नेता एकनाथ पवार के हस्तक्षेप के बाद मनपा आयुक्त को प्रशासन का पक्ष रखने का मौका दिया गया। करीबन 20 मिनट तक उन्होंने पवना बांध के लबालब रहने के बावजूद शहर में निर्माण पानी की किल्लत की वजहों की रामकहानी सुनाई। इसके बाद शाम साढ़े पांच बजे तक इसी मुद्दे पर लंबी बहस छिड़ी रही। विपक्षी दलों की प्रशासन और सत्तादल पर गरजती आरोपों की तोपें, सत्तादल द्वारा आयुक्त और प्रशासन को किये गए सपोर्ट और दोनों तरफ से चले आरोप- प्रत्यारोप के दौर से सभा का माहौल गरमा गया।
पूर्व महापौर मंगला कदम ने मनपा आयुक्त के उस बयान, जिसमें उन्होंने कटौती न करने बल्कि दो दिन का पानी एक दिन में देने की बात कही, पर टिप्पणी करते हुए सवाल उठाया कि दो दिन का भोजन एक दिन में करते हैं क्या? शिवसेना के गुटनेता राहुल कलाटे ने मनपा आयुक्त को सत्तादल के रिमोट से काम न करने की सलाह दी। वहीं सत्तादल के नगरसेवक संदीप वाघेरे ने नए कंस्ट्रक्शन को पानी न देने की भूमिका पर नाराजगी जताते हुए बिल्डरों से मनपा को मिलने वाली 800 करोड़ की आय की ओर सभागृह का ध्यानाकर्षित किया। इस गहमागहमी के बीच हमेशा ‘इलेक्शन मोड’ पर रहनेवाले सभागृह नेता एकनाथ पवार ने पानी जैसे मुद्दे पर सियासत न करने की सलाह देते हुए खुद सियासी भाषण कर बेवजह विवाद पैदा करने की कोशिश की। उनके बयान पर आपत्ति जताते हुए विपक्षी दलों ने कटौती का फैसला रद्द करने की पुरजोर मांग की। मगर इसी हंगामे के बीच सभागृह का कामकाज निपटाया गया। मंगला कदम ने महापौर के खिलाफ नारेबाजी की वहीं राष्ट्रवादी के दूसरे नगरसेवकों ने विषयपत्र फाड़कर निंदा की। इसी हंगामे में पानी कटौती के फैसले का समर्थन कर सत्तादल ने सभागृह का कामकाज पूरा होने की घोषणा कर दी।