कराची पर भाजपा-शिवसेना में रार…फडणवीस ने कहा- एक दिन कराची भी हिंदुस्तान में होगा

नई दिल्ली/मुंबई. ऑनलाइन टीम  महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि  एक दिन कराची भी भारत का हिस्सा होगा।’ दरअसल, यह मसला यूं तो पाकिस्तानी शहर करांची को लेकर सीधे-सीधे नहीं है, लेकिन उसका आशय वही है। फडणवीस ने यह बात मुंबई की एक घटना को लेकर कही, जिसमें एक शिवसेना कार्यकर्ता ने मिठाई की एक दुकान के नाम से ‘कराची’ हटाने को कहा है, क्योंकि वह पाकिस्तानी शहर है। उसने बांद्रा में ‘कराची स्वीट्स’ के मालिक से कहा कि वह कोई ऐसा नाम रखे जो भारतीय या मराठी हो।

वैसे देखा जाए तो शुरू से ही पड़ोसी मुल्क़ पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची के नाम से हिंदुस्तान में जहां-जहां कोई बेकरी या दुकान है, उस पर हिंदूवादी संगठनों या हिंदुत्ववादी राजनीति करने वाले दलों से जुड़े लोग आपत्ति जताते रहे हैं। यूं तो रावलपिंडी, सिंधी नाम से भी भारत में कई शहरों में दुकानें हैं और दिल्ली में लाहौर अपार्टमेंट भी है लेकिन कराची शब्द को लेकर ज़्यादा विवाद देखा गया है।

दरअसल, विभाजन के बाद दोनों मुल्क़ों में जिन लोगों को इधर से उधर होना पड़ा, उन्होंने अपनी यादों को संजोते हुए अपने कारोबार का नाम अपने पुराने शहरों के नाम पर रखा। कराची को लेकर जो ताज़ा विवाद मुंबई के बांद्रा वेस्ट में एक मिठाई की दुकान के नाम को लेकर सामने आया है, उसे लेकर देवेंद्र फड़णवीस के पहले शिवसेना के नेता नितिन नंदगांवकर ने भी आपत्ति जताई थी। उन्होंने भी दुकान के मालिक से कहा था कि वे कराची शब्द को बदल दें और इसकी जगह मराठी भाषा में कोई नाम रखें।  ये सब मुंबई में नहीं चलेगा। पाकिस्तान मुर्दाबाद है और हमेशा रहेगा।’ इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद दुकान के मालिक ने कराची नाम के आगे अख़बार लगाकर उसे ढंक दिया।

अब शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने पलटवार करते हुए कहा, “कराची स्वीट्स और कराची बेकरी मुंबई में 60 साल से हैं। उनका पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है। अब उनसे नाम बदलने को कहने का कोई मतलब नहीं है… यह शिवसेना का आधिकारिक स्टैंड नहीं है।”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के कई नेता पहले भी ‘अखंड भारत’ को लेकर बात करते रहे हैं।  एक इंटरव्यू में राम माधव ने कहा था कि ‘आरएसएस मानता है कि एक दिन भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जो महज कुछ दशक पहले अलग हुए हैं, वे फिर से साथ आएंगे और अखंड भारत बनेगा।’

मार्च 2019 में संघ के इंद्रेश कुमार ने दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान 2025 तक एक हो जाएंगे और भारतीय फिर लाहौर में बसेंगे।
पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी भी यूरोपियन यूनियन की तर्ज पर भारत और पाकिस्तान के एक साझा संगठन की वकालत कर चुके हैं।
शिवसेना भी ‘अखंड भारत’ पर मुखर रही है। खासतौर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पार्टी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत में मिलाने की वकालत की थी।