कड़कनाथ तक पहुंचा बर्ड फ्लू, मध्य प्रदेश में स्थिति गंभीर

झाबुआ. ऑनलाइन टीम : कोरोना संक्रमण के बीच बर्ड फ्लू का कहर भारी पड़ रहा है। इसका दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। अभी तक 10 राज्यों में इसकी पुष्टि हो चुकी है। मध्य प्रदेश में स्थिति गंभीर है। झाबुआ के कड़कनाथ पर भी बर्ड फ्लू का साया मंडराने लगा है।  कड़कनाथ में भी बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। झाबुआ जिले के ग्राम रूंडीपाड़ा में कड़कनाथ मुर्गी में एच5एन1 वायरस मिला है।

सूत्रों ने मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश में अब तक 19 जिलों में बर्डफ्लू पाया गया है। इंदौर, मंदसौर, आगर, नीमच, देवास, उज्जैन, खंडवा, खरगोन, गुना, शिवपुरी, राजगढ़, शाजापुर, विदिशा, भोपाल, होशंगाबाद, अशोकनगर, दतिया और बड़वानी में एच5एन8 की पुष्टि हुई है। प्रदेश के 42 जिलों से लगभग 2100 कौवों और जंगली पक्षियों की मृत्यु की सूचना मिली है। विभिन्न जिलों से 386 सैंपल राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा रोग अनुसंधान प्रयोगशाला भोपाल को भेजे गये हैं।

इस बीच, कड़कनाथ तक बर्ड फ्लू पहुंचने के बाद झाबुआ कलेक्टर रोहित सिंह ने कहा है कि प्रभावित स्थल से एक किलोमीटर की परिधि को संक्रमित क्षेत्र मानते हुए सभी प्रकार के कुक्कुट की कलिंग (नष्ट) की जायेगी। वहां एक से नौ किलोमीटर की परिधि को सर्विलांस जोन मानते हुए सेम्पल कलेक्शन किया जायेगा। संक्रमित क्षेत्र में अगले तीन माह तक कुक्कुट और कुक्कुट उत्पाद की रिस्टॉकिंग और कुक्कुट परिवहन पर प्रतिबंध रहेगा।

सूत्रों का कहना है कि झाबुआ के थांदला क्षेत्र के रूंपीपाड़ा स्थिति विनेाद के फार्म हाउस में मृत कड़कनाथ के शव के नमूने जांच के लिए भेजे गए थे, उसकी रिपोर्ट आ गई है। बता दें कि यह वह फार्म है जिससे दो हजार चूजे का आर्डर क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने दिया था। मौसम के ठीक होने पर इन चूजों को महेंद्र सिंह धोनी के रांची स्थित फार्म पर भेजा जाना था।   अब उन्हें नष्ट कर दफनाया जाएगा। संक्रमित क्षेत्र में आगामी तीन माह तक के लिए कुक्कुट के व्यापार और परिवहन पर रोक लगा दी गई है।

महेंद्र सिंह धोनी ने पिछले साल नवंबर में इसी फार्म से 2000 कड़कनाथ चूजे मंगवाए थे। वे अपने रांची स्थित फार्म हाउस में इसकी फार्मिंग करते हैं। कड़कनाथ मुर्गे को काली मासी भी कहा जाता है। यह काला मुर्गा होता है तो मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के भीमांचल क्षेत्र आदिवासी बहुल जिले झाबुआ में पाया जाता है। 2018 में छत्तीसगढ़ के साथ कानूनी लड़ाई जीतने के बाद झाबुआ ने इसके लिए जीआई टैग हासिल किया। इस मुर्गे में काफी औषधीय गुण होते हैं और इसमें प्रोटीन की मात्रा भी काफी अधिक होती है। इतना ही नहीं उसमें कोलेस्ट्रोल भी बहुत कम होता है। इतना ही नहीं अन्य मुर्गों के मुकाबले इसमें वसा भी कम होती है।