बड़ा खुलासा! देशभर में डेढ़ लाख फर्जी प्रोफेसर्स, कागजातों की जांच के बाद सच्चाई आई सामने

पुणे : समाचार ऑनलाइन – देश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रोफेसर्स की नियुक्ति के कागजातों की जांच-पड़ताल, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (अखउढए) के संज्ञान में करीब डेढ़ लाख प्रोफेसर्स के बोगस होने की चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. मंगलवार को परिषद के अध्यक्ष डॉ. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यह संख्या बढ़ सकती है. परिषद द्वारा जांच मुहिम शुरू की गई है.

सिंम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित डेस्टिनेशन इंडिया कार्यक्रम के दौरान डॉ. सहस्त्रबुद्धे ने बातचीत के दौरान कहा कि इंजीनियरिंग की शिक्षा हासिल कर चुके ग्रेजुएट्स की संख्या काफी अधिक है. नौकरी और रोजगार के कम मौके होने के कारण इसमें तालमेल नहीं बैठ पाने की बात सामने आई है. इस जानकारी के सामने आने के बाद अखउढए ने नया कॉलेज शुरू करने का प्रस्ताव को मंजूरी देना बंद कर दिया है. इसलिए पिछले तीन वर्षों में इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों का प्रवेश 50 फीसदी कम कर दिया गया है. इसे और कम करने की योजना है. परिषद का प्रयास 17 लाख विद्यार्थियों की संख्या को 12 लाख तक लाने की है.

डॉ. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि बीच विद्यार्थियों की संख्या और प्रोफेसर्स की संख्या निर्धारित समान रखने के लिए प्रोफेसर्स की संख्या में कमी आना अपेक्षित था. लेकिन कई यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए प्रोफेसर्स की नियुक्ति के बाद संबंधित संस्था द्वारा कम वेतन देने की शिकायत शुरू हो गई. परिषद ने इंजीनियरिंग कॉलेज में के पैन कार्ड और शैक्षणिक कागजात के आधार पर नियुक्ति की सत्यता की जांच की. 6 लाख 50 हजार प्रोफेसर्स में से करीब डेढ़ लाख प्रोफेसर्स के कागजात फर्जी पाए गए. इस संबंध में कार्यवाही पूरी होने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के संकेत परिषद ने दिए हैं. इंजीनियरिंग के प्रवेश में अचानक आई कमी से उत्पन्न हुई स्थिति का असर फॉर्मेसी और मैनेजमेंट पर न हो इसके लिए अखउढए सावधान हो गई है. ऐसे में फार्मेसी और मैनेजमेंट के कॉलेज शुरू करने के लिए आए प्रस्ताव पर नियंत्रण रखा जाएगा.

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