बता दें कि पिछले साल से नासिक जिले के कई हिस्से खासकर मालेगांव, कोरोना वायरस हॉटस्पॉट बना हुआ है। नासिक में कोरोना के आंकड़े रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए थे। इस बीच अब नासिक जिले में म्यूकरमाइकोसिस का खतरा बढ़ गया है। नासिक में म्यूकोमाइकोसिस के 8 पीड़ितों की मौत से पूरा जिला एक बार फिर से हिल गया है। मालेगांव और नासिक शहर में म्यूकरमाइकोसिस के कारण पीड़ितों की मौत हुई है। इसलिए स्वास्थ्य व्यवस्था अब और सतर्क हो गई है।
जैसे-जैसे कोरोना की दूसरी लहर कम होने लगी, म्यूकरमाइकोसिस ने चिंता बढ़ा दी। स्वास्थ्य व्यवस्था ने एक बार फिर तार पर काम करना शुरू कर दिया है। एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है और स्वास्थ्य प्रणाली ने प्रतिरक्षा और मानसिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक जन जागरूकता अभियान शुरू किया है। उपचार के लिए आवश्यक एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन का स्टॉक नासिक में जमा कर पात्र रोगियों को सिविल अस्पताल से वितरित किया गया है।
दरअसल जो लोग कोविड से ठीक हो जाते हैं उन्हें म्यूकरमाइकोसिस होने का खतरा होता है। जिले में अब तक 166 म्यूकोमाइकोसिस संक्रमित मरीज मिल चुके हैं। इनमें से 34 मरीज ठीक हो चुके हैं और 132 मरीजों का इलाज चल रहा है। वर्तमान में इलाज करा रहे मरीजों में से 106 का इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है, जबकि 24 मरीजों का इलाज अधिग्रहीत कोविड सेंटर में चल रहा है, जबकि दो का सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है। हालांकि अब तक 34 लोगों को छुट्टी मिल चुकी है, लेकिन सक्रिय मरीजों की संख्या ज्यादा है। इसलिए कोरोना के बाद अब म्यूकोमाइकोसिस को गंभीरता से लेना जरूरी है। स्वास्थ्य व्यवस्था उस दिशा में कदम उठा रही है।
जिन 34 मरीजों को छुट्टी दे दी गई, उनमें से 33 रोगियों का निजी इलाज किया गया, जबकि एक मरीज का सरकारी अस्पताल में इलाज किया गया। सभी ने इससे मात दिया। इसके लिए एम्फोटेरेसीन बी के 200 इंजेक्शन स्टॉक प्राप्त कर बांटे जा चुके हैं।