मुंबई : समाचार ऑनलाइन – महाराष्ट्र में सियासी घमासान के बीच भाजपा और शिवसेना के बीच के मतभेद खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं। बीजेपी और शिवसेना के बीच कुर्सी की जंग तेज हो गई है। इस बीच महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया है। फडणवीस ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौप दिया है। इस्तीफा देने के बाद फडणवीस मीडिया से भी रूबरू हुए और अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाया।
फडणवीस ने कहा कि वह महाराष्ट्र की जनता का आभार व्यक्त करते हैं। फडणवीस ने कहा कि पांच साल के कार्यकाल में हमने जनता के विकास के लिए काफी काम किए। इसी काम के दम पर जनता ने फिर से एनडीए को चुना है। उन्होंने शिवसेना और उद्धव ठाकरे का भी आभार जताया।
Devendra Fadnavis: Unfortunately,day when results came,Uddhav ji said all options open for Govt formation.That was shocking for us as people had given mandate for alliance and in such circumstances it was a big question for us that why he said all options are open for him pic.twitter.com/leOA9s4d5m
— ANI (@ANI) November 8, 2019
50-50 फॉर्मूले पर नहीं हुई बात –
फडणवीस ने कहा कि मैंने उद्धव ठाकरे के साथ कई मुद्दों पर काम किया है, लेकिन इस बार मैंने उद्धव ठाकरे को फोन किया तो उन्होंने मुझसे बात नहीं की। शिवसेना और बीजेपी के बीच सीएम पद को लेकर 50-50 पर मेरे सामने कभी कोई निर्णय नही हुआ। मैंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, नितिन गडकरी से भी इस बारे में पूछा, लेकिन उन्होंने भी सीएम पर 50-50 फॉर्म्युले पर किसी भी तरह के फैसले से इनकार किया। फडणवीस ने कहा कि उद्धव ठाकरे के 50-50 फॉर्मूले के बयान से आहत हूँ। उन्होंने कहा जनता ने शिवसेना को अकेले नहीं बल्कि हमारे गठबंधन को वोट दिया है।
बयानबाजी से सरकार नहीं बनती –
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिवसेना लगातार मीडिया में बयान दे रही है, लेकिन सिर्फ बयानबाजी से सरकार नहीं बनती। फडणवीस ने कहा कि ‘दुर्भाग्यवश जब परिणाम आया, तब उद्धव जी ने कहा था कि सरकार बनाने के सभी विकल्प खुले हुए हैं। मगर बाद में उनका फैसला हमारे लिए चौंकाने वाला था। जनता ने हमारे गठबंधन को बहुमत दिया था।
सरकार न बना पाने का अफसोस –
फडणवीस ने कहा कि इस्तीफे के बाद राज्यपाल ने एक्टिंग सीएम के तौर पर काम करते रहने को कहा है जब-तक कोई नई व्यवस्था नहीं हो जाती है। महायुति का सरकार न बनना जनादेश का अपमान है। यह गलत है। जनादेश मिलने पर सरकार न बना पाने का अफसोस है।
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