बड़ा फैसला…लक्ष्मी विलास बैंक के विलय को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी,  20 लाख जमाकर्ताओं  को राहत

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को बैठक की। बैठक संपन्न होने के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाता सम्मेलन कर कैबिनेट के फैसलों के बारे में बताया। जावड़ेकर ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संकटग्रस्त लक्ष्मी विलास बैंक के डेवलपमेंट बैंक इंडिया लिमिटेड (डीबीआईएल) में विलय के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। जमाकर्ताओं द्वारा अपनी राशि लेने पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगी। बैंक 20 लाख खाताधारक हैं, इनको सुरक्षा मिलेगी। अब वे जब और जितना चाहें अपने निकाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि लक्ष्मी विलास बैंक के 4000 कर्मचारियों की नौकरी भी सुरक्षित रहेगी।

गौरतलब है कि लक्ष्मी विलास बैंक को सरकार ने मोरेटोरियम में डालते हुए 25 हजार रुपये की निकासी तय करने समेत उस पर 16 दिसंबर तक के लिए कई तरह की पाबंदियां लगा दी थी। रिजर्व बैंक ने लगातार वित्तीय गिरावट को देखते हुए लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया था। बैंक के बढ़ते एनपीए और इसे चलाने में आ रही कठिनाइयों के बीच केन्द्र सरकार ने सिंगापुर की सबसे बड़े ऋणदाता डीबीएस बैंक के लोकल यूनिट डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड (डीबीआईएल) के साथ विलय करने को कहा था। ऐसा पहली बार है जब किसी भारतीय बैंक को सुरक्षित रखने के लिए उसके विदेश प्रतिद्वंद्वी बैंक को चुना। जावड़ेकर ने कहा कि सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कहा है कि वे मैनेजमेंट के उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें जिसके चलते बैंक डूबने के कगार पर पहुंचा।

आरबीआई के प्लान के मुताबिक सिंगापुर सरकार समर्थित डीबीएस लक्ष्मी विलास बैंक में कम से कम 2,500 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। डीबीएस बैंक पहला ग्लोबल बैंक है, जिसने खुद पहल करके इंडियन मार्केट में अपनी हिस्सेदारी कायम करने के लिए सब्सिडियरी बनाने और लक्ष्मी विलास बैंक में पूंजी निवेश का फैसला किया है। अपनी इस पहल के तहत लक्ष्मी विलास बैंक की 560 शाखाओं के जरिये डीबीएस बैंक की पहुंच इसके होम, पर्सनल लोन और स्मॉल स्केल इंडस्ट्री लोन ग्राहकों तक हो जाएगी। बेलआउट पैकेज के तहत लक्ष्मी विलास बैंक के डिपोजिटर और बॉन्ड होल्डर्स को उनका पूरा पैसा मिल जाएगा। हालांकि, शेयरधारकों को नुकसान होगा। इससे पहले, डीबीएस बैंक ने कहा था कि प्रस्तावित विलय से इसे अपना कस्टमर बेस और नेटवर्क बढ़ाने में मदद मिलेगी। हालांकि विलय योजना का ऐलान करने से पहले आरबीआई ने पैसा निकालने पर एक महीने का प्रतिबंध लगा दिया था। जिस पर अब पाबंदी खत्म कर दी गई हैं। यानी, ग्राहक अब बैंक में जमा 25 हजार रुपये ज्यादा अपना पैसा निकाल सकते हैं।

लक्ष्मी विलास बैंक ने इससे पहले इंडियाबुल्स के साथ विलय करने की भी कोशिश की थी। लेकिन आरबीआई ने इसकी इजाजत नहीं दी। बता दें कि यस बैंक के बाद इस साल मुश्किलों में फंसने वाला लक्ष्मी विलास बैंक निजी क्षेत्र का दूसरा बैंक बन गया है। यस बैंक के ऊपर मार्च में पाबंदियां लगाई गई थीं। सरकार ने तब भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की मदद से यस बैंक को उबारा था।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कैबिनेट ने राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना निधि द्वारा प्रायोजित एनआईआईएफ ऋण मंच में सरकार द्वारा 6,000 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश को मंजूरी दी है। साथ ही टेलीकॉम सेक्टर में एटीसी में एफडीआई को भी मंजूरी मिली है। टाटा समूह की कंपनी एटीसी के 12 फीसदी शेयर एटीसी पैसिफिक एशिया ने लिए हैं।