बता दे कि मुंबई के बाद शहर में साइबर अपराधों की संख्या बढ़ रही है। पिछले साल साइबर पुलिस को 15,000 साइबर अपराध के आवेदन मिले थे। इस बीच पुलिस कमिश्नर अमिताभ गुप्ता ने कहा कि हर साल साइबर अपराधों की संख्या बढ़ने के साथ साइबर पुलिस स्टेशन को सशक्त बनाने की जरूरत है। इसके लिए, इस जगह की जनशक्ति को बढ़ाना और काम में सद्भाव लाना आवश्यक है। आगे उन्होंने कहा कि साइबर अपराध के प्रकार के अनुसार अब पांच इकाइयाँ बनाई गई हैं। अपराध की प्रकृति के आधार पर अपराध की जांच के लिए इकाई को सौंपा जाएगा।
अब से साइबर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक उस दिन के शिकायत फार्म को उस इकाई में वितरित करेंगे। यूनिट का पुलिस निरीक्षक शिकायत प्रपत्र पर आगे की कार्रवाई के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश देगा। शिकायत के बाद शिकायत प्रपत्रों को पुलिस थानों को भेजने और आवेदन फाइलों को दाखिल करने का पर्यवेक्षण करें। यदि आवेदक के धोखाधड़ी की राशि 10 लाख रुपये से अधिक है और शिकायतकर्ताओं की संख्या अधिक है, तो उपायुक्त के मार्गदर्शन के साथ आगे की कार्रवाई की जाएगी।
ऐसी होगी इकाई –
1) हैकिंग, डेटा चोरी : डेटा इंस्क्रिप्ट, मेल हैकिंग, डेटा चोरी, डिजिटल हस्ताक्षरकर्ता, ऑनलाइन व्यापार धोखाधड़ी: OLX, flipkart धोखाधड़ी, मल्टी लेवल मार्केटिंग, मोबाइल मनी ट्रांसफर हैकिंग, ऑनलाइन बिक्री और खरीद धोखाधड़ी।
2) धोखाधड़ी : ऑनलाइन डेटिंग साइट धोखाधड़ी, बीमा धोखाधड़ी, नौकरी धोखाधड़ी, ऋण धोखाधड़ी, पैकेज टूर धोखाधड़ी, मोबाइल टॉवर धोखाधड़ी, वैवाहिक धोखाधड़ी
3) सोशल नेटवर्किंग : फेसबुक, फेक डॉक्यूमेंट्स, फेसबुक हैकिंग एक्सटॉर्शन, मानहानि, अपलोड किए गए वीडियो आदि।
4) एटीएम कार्ड फ्रॉड : मनी ट्रांसफर डेबिट, क्रेडिट कार्ड, क्लोन कार्ड फ्रॉड, ओटीपी शेयर फ्रॉड, मोबाइल, लैपटॉप चोरी आदि।
5) प्रशासन : पुलिस स्टेशन का कार्यालय कार्य, साइबर पोर्टल, पुलिस स्टेशनों को तकनीकी सहायता।