बड़ा फैसला…अमेजन को दखल देने से रोकने की मांग वाली फ्यूचर रिटेल की याचिका खारिज  

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को किशोर बियानी की अगुवाई वाले फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अमेजन को सिंगापुर की अदालत के फैसले के बारे में सेबी, सीसीआई को लिखने से मना करने की अपील की गई थी। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने एफआरएल की दलील को खारिज कर दिया। याचिका में दावा किया गया था कि अमेजन 24,713 करोड़ रुपये के रिलायंस- फ्यूचर सौदे पर आपातकालीन न्यायाधिकरण के फैसले के बारे में अधिकारियों को लिख रही है।

दरअसल, पिछले साल अमेजॉन ने किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप की कंपनी फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड में 49 फीसद की हिस्सेदारी खरीदी थी। इस कंपनी के पास फ्यूचर रिटेल की भी 7।3 फीसदी की हिस्सेदारी है। इसी के बिजनेस को किशोर बियानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह को बेचा है। जिसके खिलाफ अमेजॉन ने सिंगापुर स्थित मध्यस्थता कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बता दें कि  फ्यूचर ग्रुप में Amazon का निवेश एक्सपोजर 1,431 करोड़ रुपये तक सीमित है। यह ध्यान देने की बात है कि फ्यूचर ग्रुप की संपत्ति (खुदरा और थोक व्यापार, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग, और एफएमसीजी आउटसोर्सिंग व्यवसायों सहित) की कीमत 30,000 करोड़ रुपये से अधिक है। साथ ही फ्यूचर ग्रुप में लगभग 50,000 कर्मचारी काम करते हैं।

इस संबंध में विवाद तब उत्पन्न हुआ जब फ्यूचर समूह ने करीब 24,000 करोड़ रुपये में अपने खुदरा, भंडारण और लॉजिस्टिक कारोबार को रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचने का समझौता किया। सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण केंद्र (एसआईएसी) ने 25 अक्टूबर के अपने आदेश में अमेजन के पक्ष में फैसला देते हुए फ्यूचर रिटेल लिमिटेड पर कंपनी की परिसंपत्तियों के किसी भी तरह के हस्तांतरण, परिसमापन या किसी करार के तहत दूसरे पक्ष से कोष हासिल करने के लिए प्रतिभूतियां जारी करने पर रोक लगायी है।

इस डील से अमेजॉन को भारतीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा गहराने का डर है, क्योंकि अमेजॉन का दुनियाभर में ऑनलाइन बाजार बहुत विशाल है। जहां लाखों व्यापारी अपने उत्पादों को करोड़ों लोगों को बेचते हैं। अमेजॉन का इस डील को रद्द करवाने के पीछे का उद्देश्य ऑनलाइन बाजार में खुद का एकाधिकार स्थापित करना है।